मंचों के प्रचार से नदारद शारदा सोलंकी पर भारी पड़ सकती हैं ममता मौर्य, अबकी बार सभी वर्गो को हाथी से उम्मीद
नगरीय निकाय चुनाव 2022 मंचों के प्रचार से नदारद शारदा सोलंकी पर भारी पड़ सकती हैं ममता मौर्य, अबकी बार सभी वर्गो को हाथी से उम्मीद
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में हो रहे नगरीय निकाय चुनावों में अपने विरोधियों को मात देने के लिए हर दल दावा कर रहा हैं, हर तरीके से दांव पेच चले जा रहे है। सियासी कुर्सी पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी विकास के बहाने अपनी जीत का दावा ठोंक रही है ,तो कांग्रेस सरकार पर विकास के झूठे वादे और भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर मेयर की कुर्सी पर बैठना चाहती हैं। वहीं बसपा सामाजिक सौहार्द के वातावरण के जरिए चुनावी मौसम में जान फूंक रही हैं। बीएसपी बीजेपी और कांग्रेस पर ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण की अनदेखी का आरोप लगाते हुए चुनावी मैदान में डटकर सामना कर रही हैं।
भले ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुरैना बीजेपी महापौर प्रत्याशी मीना जाटव की आंगनबाडी कार्यकर्ता के तौर पर तारीफ कर चुके हैं। लेकिन चुनावी हकीकत ये है कि जमीनी स्तर पर जनता के बीच बीजेपी की कमजोर स्थिति दिखाई पड़ रही हैं। नगरीय चुनावी प्रचार में शहर की बात से बढ़कर पीएम मोदी योजनाओं का प्रचार जोरों शोरों से सुनाई दे रहा हैं। बीजेपी की ओर से सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास का आश्वासन दिया जा रहा हैं।
मंचों से बीजेपी सरकार के खिलाफ कांग्रेस की आवाज भले ही शहरों की गलियों में गूंज रही हैं, लेकिन उस आवाज में कांग्रेस की पुरूष कार्यकर्ताओं की आवाज तो हैं , लेकिन प्रत्याशी की आवाज कहीं गुम होती हुई दिखाई दे रही हैं, जिसे लेकर मतदाताओं के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो रही हैं। मतदाताओं का कहना है कि मूक प्रत्याशी को मैदान में उतारना कांग्रेस के लिए घातक सिद्द हो सकता हैं। मंचों से कुछ चुनिंदा नेताओं की आवाज ही सुनाई दे रही हैं। जिससे मतदाताओं के मन में ये बात घर कर गई है कि मंच से बोलने वाले ही नगर की सरकार को चलाएंगे, जिससे बनिया ब्राह्मण वर्ग में कुछ नाराजगी देखने को मिल रही हैं। जाटव वर्ग से उतारी गई प्रत्याशी को लेकर कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप चुनावी माहौल में खूब लग रहा हैं। क्या कांग्रेस को सिर्फ एक सोलंकी परिवार ही दिखाई देता हैं। जिसे पार्टी संगठन के साथ साथ चुनाव में मौका देती हैं। ऐसे में पार्टी पर अन्य कार्यकर्ताओं की अनदेखी का आरोप लगना स्वाभाविक हैं।
स्थानीय मतदाताओं के बीच बीएसपी से चुनावी मैदान में उतरी एडवोकेट ममता मौर्य को नगर के विकास के लिए एक शिक्षित उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा हैं। बीएसपी प्रत्याशी की ओर से सभी वर्गों के मतदाताओं को शहर में जमीनी विकास करना का भरोसा दिया जा रहा हैं। जिसमें शहर को शिक्षा,स्वास्थ्य, स्वच्छता, सुरक्षा का आश्वासन दिया जा रहा हैं। बीएसपी की ओर से कांग्रेस और बीजेपी पर मुसलमान और ओबीसी वर्ग की अनदेखी का आरोप लगाया जा रहा हैं। बसपा का आरोप है कि ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण से वंचित रखना कांग्रेस और बीजेपी की पुरानी चाल हैं। मुरैना महापौर प्रत्याशी एडवोकेट मौर्य बीएसपी प्रदेशाध्यक्ष इंजीनियर रमाकांत पिप्पल की पत्नी होने के चलते नगर निगम के हर वार्ड में हर वर्ग का समर्थन मिलते हुए दिखाई दे रहा हैं।