चुनाव हारने के बावजूद भी केशव प्रसाद मौर्य को योगी सरकार में मिलेगा बड़ा पद! हार के बाद भी होंगे वारे-न्यारे!

मौर्य को मिलेगा मेहनत का फल चुनाव हारने के बावजूद भी केशव प्रसाद मौर्य को योगी सरकार में मिलेगा बड़ा पद! हार के बाद भी होंगे वारे-न्यारे!

Bhaskar Hindi
Update: 2022-03-12 14:26 GMT
चुनाव हारने के बावजूद भी केशव प्रसाद मौर्य को योगी सरकार में मिलेगा बड़ा पद! हार के बाद भी होंगे वारे-न्यारे!

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तरप्रदेश में मिली बड़ी जीत के बाद योगी आदित्यनाथ दोबारा 21 मार्च को सीएम पद की शपथ ले सकते हैं। योगी आदित्यनाथ गोरखपुर शहरी सीट से चुनाव लड़े और बड़े अंतर के साथ उन्होंने जीत भी हासिल की है। शपथ लेने के साथ ही योगी कैबिनेट का नए सिरे से गठन होगा। माना जा रहा है कि हार के बावजूद केशव प्रसाद मौर्य इस कैबिनेट का अहम हिस्सा होंगे।

केशव प्रसाद मौर्य सिराथू विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे लेकिन हार गए। उनके सामने सपा गठबंधन प्रत्याशी पल्लवी पटेल थीं। जिन्होंने सात हजार से ज्यादा वोटों से केशव प्रसाद मौर्य को हराया है। अब सवाल ये उठता है कि केशव प्रसाद मौर्य चुनाव हारने के बावजूद भी डिप्टी सीएम कैसे बन सकते हैं? इस पर आइए समझते हैं।

केशव नई सरकार में बनेंगे डिप्टी सीएम!

यूपी विधानसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य सिराथू सीट से भले ही चुनाव हार गए हों लेकिन उनका बीजेपी में कद कम नहीं हुआ है। सूत्रों की मानें तो नई सरकार में भी केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम बनाया जाएगा। उसके पीछे की वजह ये है कि केशव प्रसाद मौर्य ओबीसी समाज का बड़ा चेहरा हैं। यूपी विधानसभा चुनाव के पहले ही जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी को छोड़कर सपा का दामन थामा था। उस समय केशव प्रसाद मौर्य ही थे, जिन्होंने ओबीसी समाज को एकजुट रखा था।

केशव प्रसाद मौर्य चुनाव तो हार गए लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़ने के बाद ओबीसी समाज का समीकरण नहीं बिगड़ने दिया था। हालांकि स्वामी प्रसाद मौर्य भी चुनाव हार गए। बीजेपी को इसका भलीभांति अंदाजा है कि उनके लिए केशव प्रसाद मौर्य की कितनी अहमियत है।

कैसे बनेंगे डिप्टी सीएम?

अब सवाल उठता है कि केशव प्रसाद मौर्य विधानसभा चुनाव हार गए फिर डिप्टी सीएम कैसे बन सकते हैं? तो उसके लिए यही जवाब है कि बीजेपी उनको विधान परिषद के रास्ते सदन का सदस्य बना सकती है और वो यूपी के दोबारा डिप्टी सीएम बन सकते हैं। बिना विधानसभा या विधानपरिषद का सदस्य चुने हुए केवल छह माह तक ही कोई मुख्यमंत्री या मंत्री के पद पर बना सकता हैं। इसलिए संवैधानिक संकट से बचने के लिए छह माह के भीतर विधानमंडल के किसी एक सदन का सदस्य बनना जरूरी होता है।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 164(4) ये कहता है कि मुख्यमंत्री या फिर मंत्री अगर  छह माह तक राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं है, तो उस मंत्री का पद इस अवधि के साथ ही समाप्त माना जाएगा। वैसे पिछली सरकार में योगी आदित्यनाथ, केशव व दिनेश शर्मा विधान परिषद सदस्य ही थे। इस प्रकार नई सरकार में केशव प्रसाद मौर्य का डिप्टी सीएम बनना लगभग तय माना जा रहा है। हालांकि अभी पार्टी की तरफ से इसकी पुष्टि नहीं हुई है। 

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