सेवानिवृत्ति के बाद की महत्वाकांक्षाओं के बजाय न्यायाधीशों, नौकरशाहों को देश की सेवा करनी चाहिए: गहलोत
राजस्थान सेवानिवृत्ति के बाद की महत्वाकांक्षाओं के बजाय न्यायाधीशों, नौकरशाहों को देश की सेवा करनी चाहिए: गहलोत
डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश और केंद्रीय कानून मंत्री की उपस्थिति में कहा कि न्यायाधीशों और नौकरशाहों को सेवानिवृत्ति के बाद की महत्वाकांक्षाओं के बारे में चिंतित होने के बजाय देश की सेवा के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, मैं मुख्यमंत्री बना, कुछ लोग जज, प्रधानमंत्री और विधायक बने और यह गर्व की बात है कि देश की सेवा करने का मौका दिया गया है। और जीवन भर देश की सेवा करनी चाहिए। गहलोत ने 18वें अखिल भारतीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन में कहा, इसमें सेवानिवृत्ति के बाद हम क्या बन सकते हैं, अगर यह चिंता न्यायाधीशों और नौकरशाहों की है, तो चीजें कैसे काम करेंगी।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू, भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना, न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीश मौजूद थे। गहलोत ने भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला को उनकी टिप्पणियों के लिए निशाना बनाने वाली आलोचनाओं पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, हाल ही में जस्टिस सूर्यकांत और पारदीवाला ने कुछ कहा। न्यायपालिका का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है। 116 लोगों को (दो न्यायाधीशों के खिलाफ) खड़ा किया गया, जिनमें पूर्व न्यायाधीश, नौकरशाही, अधिकारी और कई अन्य शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने देश की स्थिति पर उनके विचार व्यक्त किए थे।
गहलोत ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के राज्यसभा सांसद के रूप में नामांकन का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गोगोई सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों में से एक थे, जिन्होंने कहा था कि लोकतंत्र खतरे में है, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद सांसद बन गए। उन्होंने कहा, मैंने भारत के राष्ट्रपति से पूछा था क्या श्री गोगोई पहले ठीक थे या अब वे ठीक हैं? यह मेरी समझ से परे है.।
(आईएएनएस)
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