अरुणाचल में 17 हजार फुट ऊंची चोटी पर भारत का मजबूत नियंत्रण, राजनाथ ने की हाई लेवल मीटिंग

नई दिल्ली अरुणाचल में 17 हजार फुट ऊंची चोटी पर भारत का मजबूत नियंत्रण, राजनाथ ने की हाई लेवल मीटिंग

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-13 07:30 GMT
अरुणाचल में 17 हजार फुट ऊंची चोटी पर भारत का मजबूत नियंत्रण, राजनाथ ने की हाई लेवल मीटिंग

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश में 17 हजार फुट ऊंची चोटी पर भारतीय सेना और चीनी पीएलए के बीच झड़प के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एनएसए, सेना प्रमुख और सीडीएस के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की। सूत्रों ने कहा कि भारत का अरुणाचल में 17 हजार फुट ऊंची चोटी पर मजबूती से कब्जा था ग्राउंड जीरो पर भारतीय और चीनी दोनों सेनाओं के कमांडरों ने फ्लैग मीटिंग की। भारतीय सेना के अनुसार भारत का शिखर पर मजबूत नियंत्रण है।

भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच नौ दिसंबर को झड़प हुई थी। गौरतलब है कि चीन बार-बार 17 हजार फुट ऊंची चोटी पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। भारतीय सेना के सूत्रों ने कहा कि चोटी पर भारत का मजबूत नियंत्रण है। अरुणाचल प्रदेश में 9 दिसंबर की झड़प के बाद भारतीय और चीनी दोनों सेनाओं के एरिया कमांडरों ने फ्लैग मीटिंग की। दोनों पक्ष भी तुरंत इलाके से हट गए। दोनों सेनाओं के एरिया कमांडरों ने सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए चर्चा की।

मामले में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा बुलाई गई उच्च स्तरीय आपात बैठक में सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और एनएसए अजीत डोभाल शामिल हुए। 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में तवांग से लगभग 35 किमी उत्तर-पूर्व में यांग्त्से में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के खंड के साथ पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लगभग 300 सैनिक तवांग में एलएसी के करीब आ गए थे।

इसके परिणामस्वरूप भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई। एक सूत्र ने बताया कि भारतीय और चीनी सैनिकों को चोटें आई हैं और घायलों में से छह को गुवाहाटी के सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है, लेकिन किसी के शहीद होने की खबर नहीं है। सूत्रों के मुताबिक इस महीने की शुरुआत में चीन ने उत्तराखंड के औली में भारत-अमेरिकी संयुक्त सैन्य अभ्यास पर भी आपत्ति जताई थी। हालांकि भारत ने उत्तराखंड के औली में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास संयुक्त अभ्यास पर चीन की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि किसी तीसरे देश को मामले में हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।

(आईएएनएस)

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