जातियों के आंकड़े को नजरअंदाज करना भेदभाव

चंद्रबाबू नायडू जातियों के आंकड़े को नजरअंदाज करना भेदभाव

Bhaskar Hindi
Update: 2021-10-19 16:00 GMT
जातियों के आंकड़े को नजरअंदाज करना भेदभाव

डिजिटल डेस्क, अमरावती। तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर जनगणना में जाति के आंकड़ों को शामिल करने की मांग की है। अपने पत्र में, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछड़ी जातियों (बीसी) की प्रगति के लिए ऐसी जनगणना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पिछड़ी जातियों में भारत की अधिकांश आबादी शामिल है, लेकिन उन्हें उनकी संख्या के अनुपात में लाभ नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि 1953 में पहली पिछड़ी जाति आयोग और बाद में कई अन्य राष्ट्रीय और राज्य पिछड़ी जाति के आयोगों ने राष्ट्रीय जनगणना में पिछड़ी जातियों की गणना की सिफारिश की थी। उन्होंने कहा, ऐसी अटकलें हैं कि एक जाति जनगणना सामाजिक विभाजन को और गहरा करेगी और भेदभाव को बढ़ावा देगी। हालांकि, जाति के आंकड़ों को नजरअंदाज करना जाति आधारित भेदभाव के रूप में अन्यायपूर्ण हो सकता है। नायडू ने कहा कि पर्याप्त डेटा की कमी के कारण पिछड़ी जाति के लोग गरीबी में रहते हैं। हालांकि, उनके कल्याण के लिए कई सरकारी नीतियां बनाई गई हैं।

(आईएएनएस)

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