गोरखपुर से योगी को लड़ाकर बीजेपी ने एक साथ नौ सीटों पर पक्की कर ली है जीत, इन सीटों पर भी पड़ेगा असर!
गोरखपुर के बहाने झोली में पूर्वांचल! गोरखपुर से योगी को लड़ाकर बीजेपी ने एक साथ नौ सीटों पर पक्की कर ली है जीत, इन सीटों पर भी पड़ेगा असर!
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव में सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर शहर सीट से चुनाव लड़ेंगे। इसको लेकर सियासत में हलचल तेज हो गई। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इसको लेकर बयान दिया है कि बीजेपी ने योगी जी की चुनाव से पहले घर वापसी करा दी है। हालांकि जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने योगी को गोरखपुर विधासभा चुनाव लड़वाकर बहुत बड़ा गेम खेला है। आपको बता दें कि गोरखपुर से योगी के चुनाव लड़ने पर पूर्वांचल की सीटों पर काफी प्रभाव पड़ेगा। बता दें कि गोरखपुर-बस्ती मंडल की बात करें तो यहां 41 सीटें हैं, जिनमें से 35 पर 2017 में भाजपा ने जीत हासिल की थी। इन इलाकों में योगी आदित्यनाथ का काफी दबदबा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ अगर पार्टी के सिंबल पर भी न लड़े तो आसानी से गोरखपुर समेत आस-पास के जिलों में सीटों पर जीत दर्ज कर सकते हैं।
पूर्वांचल में योगी का प्रभाव
आपको बता दें कि पार्टी के स्थानीय रणनीतिकारों का साफ कहना था कि सीएम योगी गोरखपुर से लड़ेंगे तो इसका फायदा पूर्वांचल की तमाम सीटों के साथ पूरे प्रदेश में भाजपा को मिलेगा। गोरखपुर में प्रचार-प्रसार का सीएम का अपना तंत्र है। यहां भाजपा के अलावा हिन्दू युवा वाहिनी का मजबूत संगठन है। सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सदर सीट से ही 1998 से 2017 तक सांसद रहे हैं। वह सबसे पहले 1998 में यहां से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़े थे। उस चुनाव में उन्होंने बहुत ही कम अंतर से जीत दर्ज की थी लेकिन उसके बाद हर चुनाव में उनका जीत का अंतर बढ़ता गया। वे 1999, 2004, 2009 तथा 2014 में सांसद चुने गए। योगी गोरखपुर में सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेताओं में शुमार है। बता दें कि गोरखपुर में नौ विधानसभा सीटों पर हर जगह भाजपा व हिन्दू युवा वाहिनी मुस्तैद है। बीजेपी अपनी जमीनी बिसात पूरी तरह से बिछा चुकी है।
33 वर्षों में कुल आठ चुनाव हुए जिनमें से सात बार भाजपा और एक बार हिन्दू महासभा के उम्मीदवार ने जीत हासिल की है। गौरतलब है कि वर्ष 2002 में इस सीट से डा.राधा मोहन दास अग्रवाल अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के बैनर पर जीते थे, हालांकि चुनाव जीतने के बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए थे। तभी से लगातार वह इस सीट से जीतते आ रहे हैं। डा.राधा मोहन दास अग्रवाल के पहला चुनाव जीतने से लेकर आज तक माना जाता है कि इस सीट पर जीत और हार के समीकरण गोरखनाथ मंदिर में तय होते हैं। बता दें कि भाजपा जिस सीट पर योगी आदित्यनाथ को उतार रही है, उस सीट पर 33 वर्षो से बीजेपी का कब्जा है। गोरखपुर में बीजेपी की बनी बनाईं पिच है, योगी को ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी और प्रदेश के अन्य सीटों पर ध्यान दें सकेंगे।
गौरतलब है कि गोरखपुर जिले में दो लोकसभा सीट व 9 विधान सभा सीट है। गोरखपुर व बासगांव लोकसभा की दोनों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है जबकि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 8 विधानसभा सीट को जीती थी व एक चिल्लूपार विधानसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी का ने कब्जा जमाया था। माना जा रहा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर से विधानसभा चुनाव लड़ने का फायदा पूर्वांचल को खासतौर पर मिलेगा।
33 फीसदी सीट पर बीजेपी की नजर
आपको बता दें कि यूपी की 33 फीसदी सीटें पूर्वांचल में आती हैं। अगर पूर्वांचल की जंग फतह हो जाती है तो यूपी की सत्ता पर कोई पार्टी काबिज हो सकती है। बता दें कि पूर्वांचल में यूपी के 28 जिले आते हैं, जिनमें 164 विधानसभा सीटें हैं। अगर हम साल 2017 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालते हैं तो बीजेपी ने 115 सीटों पर अपना परचम लहराया था, जबकि सपा ने 17, बसपा ने 14, कांग्रेस ने 2 और अन्य को 16 सीटें मिली थी। माना जा रहा है कि योगी को गोरखपुर से चुनावी मैदान में उतार कर बीजेपी पूर्वांचल की सीटों पर अपना जलवा बरकरार रखना चाहती है।