महापौर उम्मीदवारों के चयन में महाराज की कितनी चली?
मध्य प्रदेश महापौर उम्मीदवारों के चयन में महाराज की कितनी चली?
- सिंधिया के खाली हाथ नाराजगी
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में महापौर उम्मीदवारों के ऐलान में एक चर्चा शुरू से ही थी, इस बार कांग्रेस से बीजेपी में आए राज्य सभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की चलेगी या नहीं चलेगी, चलेगी तो कितनी। भाजपा ने 16 में से 15 प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है।
घोषित उम्मीदावारों की सूची पर ध्यान केंद्रित किया जाए तो ये साफ तौर पर नजर आता है कि इस बार कांग्रेस से नाराज बीजेपी में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की नगरीय निकायों के चुनावों मेंं मेयर उम्मीदवारों की सूची में ज्यादा नहीं चली। जैसा की राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मंत्रीमंडल विस्तार से लेकर संगठन और नगर निगमों के पदों के चयन में सिंधिया का बिल्कुल ख्याल रखा गया और उनके ज्यादातर समर्थकों को संतुष्ट किया गया। लेकिन इस बार ऐसी बात नहीं रही।
उनके क्षेत्रीय इलाके की बात की जाए तो मुरैना नगर निगम के महापौर प्रत्याशियों के चयन में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह के समर्थक मुकेश जाटव की धर्मपत्नी मीना जाटव को मेयर उम्मीदवार बनाया गया। जिन्हें आरएसएस के भी करीबी माना जाता है। दूसरी तरफ ग्वालियर सीट पर हुए मंथन और बैठकों के बाद सिंधिया अपनी समर्थक माया सिंह को टिकट दिलाने में सक्सेस नहीं हो पाए थे। यहां से भी केंद्रीय मंत्री तोमर और वीडी शर्मा के राजनैतिक दांव पेंच में सिंधिया मात खा गए और काफी मीटिंग और मैराथन के बाद ग्वालियर से तोमर- शर्मा समर्थक सुमन शर्मा को महापौर का उम्मीदवार घोषित किया। जहां कुछ हद तक सिंधिया के चेहरे से कुछ नाराजगी आसानी से देखने को मिली। सियासत की राजनीति में कुछ स्थानीय नेताओं ने इसे ज्योतिरादित्य सिंधिया की नहीं चलने के रूप में देखा जा रहा है। सब जानते है कि सुमन का नाम केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आगे बढ़ाया था। हालांकि सहमति को लेकर संगठन में उठे विरोधी स्वर के बाद माया सिंह ने चुनाव न लड़ने की इच्छा जता दी थी। जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया माया सिंह के नाम को आगे बढ़ा रहे थे।