भाजपा और संघ परिवार का हिंदुत्व- क्या बदल रहा है एजेंडा, हो रहा है ज्यादा आक्रामक?

बीजेपी की विचारधारा पर उठ रहे सवाल भाजपा और संघ परिवार का हिंदुत्व- क्या बदल रहा है एजेंडा, हो रहा है ज्यादा आक्रामक?

Bhaskar Hindi
Update: 2022-06-25 12:00 GMT
भाजपा और संघ परिवार का हिंदुत्व- क्या बदल रहा है एजेंडा, हो रहा है ज्यादा आक्रामक?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लगातार दो लोकसभा चुनाव में बहुमत के साथ चुनावी जीत और राज्य दर राज्य विधानसभाओं में जीत हासिल करने के बाद भाजपा का लगातार और तेजी से विकास होता जा रहा है। विदेशी राजनयिकों को संबोधित करते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दावा किया था कि 18 करोड़ प्राथमिक सदस्यों के साथ भाजपा आज दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है।
पिछले महीने जयपुर में आयोजित भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक को वर्चुअली संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया था कि वर्तमान में देश के 18 राज्यों में भाजपा की सरकार है, 1300 से अधिक विधायक और 400 से अधिक सांसद हैं। हालांकि इसके साथ ही उन्होने आजादी के अमृतकाल और अगले 25 वर्षों के लक्ष्य का जिक्र करते हुए यह भी कहा था कि भाजपा के लिए ये समय, अगले 25 वर्षों के लक्ष्य तय करने और उनके लिए निरंतर काम करने का है।

भाजपा की इस विकास यात्रा के बीच विरोधी दलों के साथ-साथ देश में एक ऐसे तबके के लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है जिनका यह आरोप है कि भाजपा का हिंदुत्व का एजेंडा बदल चुका है और यह नव-हिंदुत्व का एजेंडा पहले से कहीं ज्यादा आक्रामक है। भाजपा के हिंदुत्व और राम मंदिर आंदोलन का बड़ा चेहरा विनय कटियार इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पूरी तरह से गलत और निराधार बता रहे हैं।

आईएएनएस से बात करते हुए विनय कटियार ने कहा कि हमारे लिए जो हिंदुत्व पहले था, अब भी वही है और उस एजेंडे में कोई बदलाव नहीं है। भाजपा अपना काम कर रही है और सही काम कर रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जो कर रहे हैं वो ठीक ही कर रहे हैं लेकिन विरोधी तो सरकार के हर अच्छे काम पर राजनीति करना चाहते हैं इसलिए वो प्रोपेगेंडा कर रहे हैं।

कटियार ने आगे कहा कि हमारे एजेंडे में कोई बदलाव नहीं है, हां कुछ पुरानी चीजें थी जो सुप्तावस्था में पड़ी हुई थी, उनको जीवित किया जा रहा है। पहले यह लगता था कि हिंदुत्व में कोई जान नहीं है, अब इस अवधारणा को बदलने के लिए चीजों को नए सिरे से खड़ा किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होने दावा किया कि इस एजेंडे में कोई बदलाव नहीं आया है। हिंदुत्व हमारे जीवन के जीने की शैली है, काम करने की शैली है और हम अपना काम कर रहे हैं तो इससे किसी भी अन्य समुदाय को डरने की जरूरत नहीं है। उन्होने कहा कि हिंदू जाग रहा है। कार्यकर्ताओं की मेहनत के बल पर भाजपा जीत रही है और अपना काम कर रही है , अगर इससे किसी को तकलीफ हो रही है तो इसमें भाजपा क्या कर सकती है।

राम मंदिर आंदोलन को जनांदोलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले संघ परिवार से जुड़े संगठन विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि जो वेदों, शास्त्रों, स्मृति ग्रंथों, उपनिषदों, महाभारत और गीता की बात कर रहा है, वही हिंदुत्व है और जो इन्हे मानता है वही हिंदुत्ववादी है।

विहिप प्रवक्ता ने हिंदुत्व के एजेंडे में बदलाव होने या इसके आक्रामक होने की बात को पूरी तरह से खारिज करते हुए निराधार करार दिया। मुसलमान और ईसाई समुदाय के कुछ तबकों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होने कहा कि पहले की सरकारें इन लोगों के सर पर हाथ रखती थी और हिंदुओं को दबाती थी और अब हिंदू खड़ा हो गया है, मुखर हो गया है और अपनी बात कर रहा है, इसी से वो परेशान है।

आईएएनएस से बात करते हुए संघ मामलों के जानकार राजीव तुली ने कहा कि बाला साहब देवरस के समय से लेकर अब तक संघ का लगातार एक ही स्टैंड रहा है और इसमें निरंतरता बनी हुई है, कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा कि 2018 में दिल्ली में भी एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि काशी और मथुरा आरएसएस के एजेंडे में नहीं है और अभी हाल ही में उन्होंने फिर से इसी स्टैंड को दोहराया है। उन्होंने कहा कि विशेष परिस्थितियों में संतों के आदेश पर रामजन्मभूमि आंदोलन में संघ को उतरना पड़ा था।

राजीव तुली ने आगे कहा कि बुलडोजर या इस तरह की अन्य बातों का जो बार-बार जिक्र किया जा रहा है, यह कोई आक्रामक हिंदुत्व नहीं है। यह बात सही है कि अब तक निष्क्रिय रहने वाले हिंदू सक्रिय हो रहे हैं, अपनी बात रख रहे हैं लेकिन इसका बुलडोजर या इस तरह के अन्य अभियान से कोई लेना देना नहीं है। यह तो राजदंड का भय या कानून को स्थापित करने वाले व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वो इसे कैसे करता है। जिन लोगों को कानून का राज मानने में या नियमों को फॉलो करने में दिक्कत होती आई है वो लोग सरकार के नए कदम पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं, सड़क पर उतर कर हंगामा कर रहे हैं, अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं, बहुसंख्यक समुदाय को डराने की कोशिश कर रहे हैं तो हिंदू आक्रामक नहीं होगा लेकिन हिंदुओं की तरफ से प्रतिक्रिया तो होगी ही क्योंकि प्रतिकार करना सनातनी परंपरा रही है। हालांकि हिंदू मूलत: शांत और सामंजस्य बनाकर चलने वाला व्यक्ति होता है।

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