असली शिवसेना के मुद्दे पर इलेक्शन कमिशन के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे से इंकार, शुरूआती सुनवाई में शिंदे गुट को राहत, ठाकरे को झटका

 शिवसेना विवाद असली शिवसेना के मुद्दे पर इलेक्शन कमिशन के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे से इंकार, शुरूआती सुनवाई में शिंदे गुट को राहत, ठाकरे को झटका

Bhaskar Hindi
Update: 2023-02-21 17:16 GMT
असली शिवसेना के मुद्दे पर इलेक्शन कमिशन के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे से इंकार, शुरूआती सुनवाई में शिंदे गुट को राहत, ठाकरे को झटका

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगाने से इनकार कर दिया है। इसका मतलब अभी सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई फैसला नहीं सुनाया है। दोनों पक्षों को दो हफ्ते का समय दिया गया है। अदालत ने कहा कि, अभी कुछ दिनों तक दोनों गुट के नेताओं के पक्ष को सुना जाएगा। दोनों पक्षों के दलीलों को सुनने के बाद ही फैसला लिया जाएगा कि कौन शिवसेना का असली हकदार है। फिलहाल अभी भी शिदे गुट के पास सिवेसाना का नाम और तीर-धनुष का चुनाव चिह्न रहेगा और उद्धव ठाकरे के पास मशाल का चुनाव चिह्न रहेगा।

दोनों पक्षों के वकील ने कही ये बातें

उद्धव ठाकरे की गुट ने आज अदालत में मांग की थी कि कोर्ट का फैसला आने तक एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चिह्न इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी जाए। उद्धव ठाकरे की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्रीय चुनाव आयोग के फैसले करने का तरीका ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की ओर से इस तरह के फैसले गंभीर सवाल खड़ा करते हैं। साथ ही सिंबल ने सुप्रीम कोर्ट से मांग किया कि इस मामले में अंतिम फैसला होने तक स्टे लगा दिया जाना चाहिए।

उद्धव गुट को पहले हाई कोर्ट जाना चाहिए- शिंदे गुट वकील

सिब्बल ने आगे कहा कि चुनाव आयोग ने विधायकों और सांसदों के आधार पर शिंदे गुट को पार्टी का नाम और सिंबल दे दिया है, लेकिन फैसला करने का यह आधार किसी पैमाने से ठीक नहीं है। इसके लिए एक बार संगठन का फैसला लिया जाना चाहिए था कि वह किसके साथ जाना चाहते हैं। वहीं शिंदे गुट की ओर से पेश वकील एनके कौल ने कहा कि यह याचिका सुनावाई योग्य नहीं है। एनके कौल ने आगे कहा कि उद्धव गुट को सुप्रीम कोर्ट आने से पहले उन्हें हाई कोर्ट जाना चाहिए था।  

इस बीच कानून के जानकारों का मानना है कि पार्टी का नाम और सिंबल पर फैसला देने का अधिकार चुनाव आयोग को है। ऐसे में उद्धव ठाकरे को राहत मिलने की कम संभवानाएं है। अदालत में शिंदे गुट ने पार्टी कार्यलय पर भी दावा ठोक दिया है। उन्होंने कहा कि अब हम सभी विधायक और सांसद को शिंदं गुट नहीं कहा जाए। शिंदे गुट ही असली शिवसेना है।  

जानें पूरा मामला

दरअसल, महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से सियासी पारा बढ़ा हुआ है, जहां मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के गुटों में असली शिवसेना को लेकर जंग जारी है। बीते मंगलवार को भी इस मामले को लेकर खूब हलचल रही। जहां एक ओर लोकसभा सचिवालय ने उद्धव ठाकरे गुट को एक और झटका देते हुए संसद भवन में मौजूद शिवसेना कार्यालय को एकनाथ शिंदे गुट को सौंप दिया है। वहीं दूसरी तरफ ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर शीर्ष कोर्ट सुनवाई शुरू हो गई है। दरअसल, हाल ही में चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे को असली शिवसेना का दर्जा देते हुए 'तीर-कमान' का चिन्ह भी सौंप दिया है। लेकिन आइए उससे पहले एक नजर डालते हैं इस मामले से जुड़ी बड़ी बातों पर-

चिन्ह और बैंक खाते अपने कब्जे में ले लेगा शिंदे गुट 

सुप्रीम कोर्ट में उद्धव गुट की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने प्रतिवेदन में कहा कि अगर निर्वाचन आयोग के इस फैसले पर रोक नहीं लगाई जाती है तो शिंदे गुट चिह्न और बैंक खाते अपने कब्जे में ले लेगा। इस बीच सिब्बल ने मंगलवार को पीठ के समक्ष इस मामले को आज के लिए सूचीबद्ध करने का आग्रह किया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे इस पूरे मामले को समझने की जरुरत है। इसलिए शीर्ष कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई बुधवार दोपहर साढ़े तीन बजे तक स्थगित कर दी। इससे पहले चुनाव आयोग ने बीते शुक्रवार को शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को मूल शिवसेना के रूप में मान्यता दी और उसे दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित अविभाजित शिवसेना का 'धनुष और तीर' चुनाव चिह्न आवंटित करने का आदेश दिया था।

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे बनाम उद्धव विवाद के दूसरे पहलुओं पर भी सुनवाई की। उद्धव गुट के वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि शिंदे और उनके समर्थक विधायकों को पार्टी व्हिप का पालन नहीं करने के कारण सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया था। डिप्टी स्पीकर को फैसले से रोक दिया गया था। शिंदे को शपथ के लिए राज्यपाल का न्योता भेजना गलत था। नए स्पीकर राहुल नार्वेकर को गलत तरीके से चुना गया। पार्टी की ऐसी कोई बैठक नहीं हुई जिसमें फूट पड़ी हो, फिर भी नया गुट अपने आप को असली पार्टी कहने लगा। सिब्बल कल भी इस पर अपनी बहस जारी रखेंगे।

गुरुवार तक हो सकती है सुनवाई पूरी 

शिवसेना के नाम और चिन्ह के आवंटन को लेकर दायर की गई याचिका पर परसों यानी गुरुवार तक सुनवाई पूरी होने की संभावना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कल दोपहर तक सिब्बल, सिंघवी और कामत अपना पक्ष रखें। इसके बाद यह मौका परसों दोपहर तक शिंदे कैंप के वकीलों को दिया जाएगा। 
उसके बाद उद्धव कैंप अपना जवाब दे। 

कोर्ट में की गई नई व्यवस्था 

इस बीच शीर्ष कोर्ट में एक नई व्यवस्था भी शुरू की जा रही है, जिसकी जानकारी मुख्य न्यायाधीश ने दी। उन्होंने बताया कि नई व्यवस्था के तहत वकीलों और जजों द्वारा कही जाने वाली बातें कोर्ट में रखे स्क्रीन में लिखित रूप में नजर आएंगी। इसे स्थायी रिकॉर्ड के रूप में भी रखा जाएगा ताकि भविष्य में लॉ के छात्र भी इसका लाभ उठा सकेंगे। सभी दलों ने नई व्यवस्था का स्वागत किया है।

संजय राउत की जान को खतरा!

मंगलवार को राज्यसभा सांसद संजय राउत ने शिंदे गुट पर गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस को पत्र लिखा है। राउत ने पत्र में लिखा है कि लोकसभा सदस्य और  एकनाथ शिंदे के पुत्र श्रीकांत शिंदे ने उन्हें मारने की सुपारी ठाणे के अपराधी राजा ठाकुर को दी है। उन्होंने खुद इसके बारे में पुष्टि की है। उन्होंने आगे कहा, "मैं आपको एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में सूचित कर रहा हूं।" दरअसल, शिंदे सरकार आने के बाद संजय राउत की सुरक्षा सरकार ने हटा दी थी। 

इस दौरान संजय ने शिंदे गुट पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, "जो भी चाहो ले लो। क्योंकि हमारी जड़ें मजबूत हैं। हमें चुनाव आयोग का फैसला मंजूर नहीं है। किसके दबाव में यह फैसला लिया गया है। हमें विश्वास है कि हम सुप्रीम कोर्ट में जीतेंगे।"

संजय राउत ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे की तरफ से शुरू की गई शिवसेना ही हमारी शिवसेना है, उद्धव ठाकरे की शिवसेना है। हम दूसरी शिवसेना में विश्वास नहीं करते। चुनाव आयोग का फैसला असंवैधानिक है। इन्होंने सब कुछ अपने कब्जे में ले लिया है, चलो दिल्ली चलकर देखते हैं। 2024 तक खेल खत्म हो जाएगा।"

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