राहुल गांधी से मुलाकात के बाद चौबीस घंटे के भीतर अशोक गहलोत ने लिया यूटर्न, अपनी ही बात से मुकरे
कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव-2022 राहुल गांधी से मुलाकात के बाद चौबीस घंटे के भीतर अशोक गहलोत ने लिया यूटर्न, अपनी ही बात से मुकरे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी में इन दिनों अध्यक्ष पद उम्मीदवार को लेकर उठापटक जारी है। अभी तक ये तय नहीं हो पा रहा है कि अध्यक्ष का चुनाव कौन लड़ेगा? इसी कड़ी में राहुल गांधी से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुलाकात की। राहुल गांधी इस दौरान कांग्रेस की ओर से निकाली गई भारत जोड़ो पद यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं। अशोक गहलोत राहुल गांधी को मनाने के लिए गुरूवार को कोच्चि पहुंचे थे। वहां राहुल गांधी से मुलाकात तो की लेकिन अभी बात नहीं बन पाई है।
इससे साफ है कि इस बार गांधी परिवार अपने आप को अध्यक्ष पद के चुनाव से अलग रखना चाहता हैं। बताया ये जा रहा है कि कांग्रेस परिवार की गहलोत पहली पसंद हैं, जिन्हें अध्यक्ष बनने का ऑफर दिया जा रहा है लेकिन गहलोत चाहते हैं कि वो दोनों पद पर बने रहें लेकिन राहुल गांधी की ओर से एक व्यक्ति एक पद का संकल्प याद दिलाए जाने के बाद अब गहलोत ने यूटर्न ले लिया है। वैसे अशोक गहलोत की ओर से अध्यक्ष की कमान के साथ सीएम पद पर बने रहने की इच्छा पर राहुल ने ना कह दिया, जिसके बाद गहलोत का रूख बदल गया है।
गहलोत छोड़ेंगे सीएम पद
राहुल गांधी से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान अशोक गहलोत ने स्पष्ट कर दिया है कि अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए पद छोड़ने की जरूरत नहीं है, लेकिन यदि वह जीतते हैं तो मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ देंगे। उन्होंने ये भी कहा कि दोनों पदों पर एक साथ काम करने से न्याय नहीं होगा। कांग्रेस अध्यक्ष जो बनेगा वह तभी न्याय कर पाएगा, जब वह पूरे देश में काम करेगा। दो पद पर काम करना नामुमकिन हैं। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि इस पद के लिए कोई भी खड़ा हो सकता है, इसमें कोई बाधा नहीं है। एक शख्स एक पद का फॉर्मूला यहां लागू नहीं होता। परंतु कांग्रेस अध्यक्ष पद पर कोई बैठता है तो वह दो पद नहीं ले सकता है क्योंकि उसे पूरे देश के लिए काम करना पड़ता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि न्याय करने के लिए एक पद पर रहना जरूरी है।
बस चले तो किसी पद पर ना रहें
अशोक गहलोत ने आगे कहा कि अगर उनका बस चले तो वो किसी भी पद पर ना रहें। उन्होंने ने आगे कहा कि पार्टी ने उन्हें बहुत कुछ दिया है। मेरी तो इच्छा है कि किसी पद पर ना रहूं। उन्होंने फिर कहा कि लगातार 40 सालों तक केंद्रीय मंत्री से लेकर तीन बार सीएम व अन्य पदों रहा हू्ं। गहलोत ने अपने को पार्टी का सिपाही बताया और कहा कि मैं बिना पद या पद के पार्टी की ओर से दिए जाने वाले हर काम को करने के लिए तैयार हूं।
राहुल गांधी बने अध्यक्ष
जिस वक्त कांग्रेस देशभर में चर्चा का विषय बन चुकी है, सभी की निगाहें बस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार पर टिकी हुई है। ऐसे में गहलोत को गांधी परिवार आगे करना चाह रहा है तो वो राहुल गांधी से अपील कर रहे हैं कि इस पद को स्वीकार कर लें। लेकिन राहुल गांधी लगातार इनकार कर रहे हैं। गहलोत ने कहा कि सब चाहते हैं कि राहुल गांधी अध्यक्ष बने क्योंकि देश के हालात काफी चिंताजनक है, लोकतंत्र खतर में है। ऐसे वक्त में एक मजबूत विपक्ष की देश को जरूरत है। जो केवल कांग्रेस है। मैं आखिर बार फिर से अपील करने आया हूं कि वह नामांकन भरें।
दो पद पर उठा सवाल
अशोक गहलोत अगर अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ते हैं तो उनके पास दो पद हो जाएंगे। ऐसे में ये मुद्दा राहुल गांधी के सामने उठा और उन्हें उदयपुर कांग्रेस शिविर के दौरान उन वादों को याद दिलाया गया, जहां पर एक व्यक्ति एक पद पर सहमति बनी थी। राहुल गांधी से जब ये सवाल किया गया कि क्या वो एक व्यक्ति एक पद पर अडिग रहेंगे तो उन्होंने कहा कि मैंने जो उदयपुर में फैसला लिया था, हम उम्मीद करते हैं कि उसकी प्रतिबद्धता बरकरार रहेगी। राहुल गांधी का ये रूख उस वक्त आया है जब गहलोत का नाम अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे चल रहा है। ऐसे में गहलोत को बड़ा झटका है। गहलोत अध्यक्ष बनने के बाद भी राजस्थान की कुर्सी अपने हाथ से नहीं छोड़ना चाहते हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि गहलोत की ओर से आगे का कदम क्या हो सकता है।