असम के चरमपंथी संगठन सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर युवाओं को लुभा रहे : सीएम
असम सियासत असम के चरमपंथी संगठन सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर युवाओं को लुभा रहे : सीएम
डिजिटल डेस्क, गुवाहाटी। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उग्रवादी संगठनों के अभियानों से आकर्षित होकर, असम में युवा 2014 से सरकार द्वारा हस्ताक्षरित कई शांति समझौतों के बावजूद चरमपंथी समूहों में शामिल हो रहे हैं। मंगलवार को विधानसभा में कई सवालों के जवाब देते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि 2016 से अब तक 1,561 युवक और युवतियां कम से कम पांच चरमपंथी संगठनों में शामिल हुए हैं।
मुख्यमंत्री के अनुसार, जिनके पास गृह मंत्रालय भी है, उग्रवादी समूहों में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक काउंसिल ऑफ कार्बी लोंगरी (पीडीसीके), यूनाइटेड पीपुल्स रिवोल्यूशनरी फ्रंट के अलावा यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (स्वतंत्र) शामिल हैं।
विपक्षी नेता देबब्रत सैकिया को जवाब देते हुए सरमा ने कहा कि चरमपंथी संगठन, विशेष रूप से परेश बरुआ के नेतृत्व वाला उल्फा (आई) फेसबुक, मैसेंजर और ट्विटर के माध्यम से गलत सूचना के साथ युवा पुरुषों और महिलाओं का ब्रेनवॉश कर रहा है। साइबरड्रोम प्रोजेक्ट के तहत असम पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की निगरानी की और 2021-2022 के दौरान ऐसे ब्रेनवॉश किए गए युवाओं द्वारा 990 आपत्तिजनक पोस्ट पाए। सरमा ने कहा कि इस तरह की पोस्ट के आधार पर पुलिस ने राज्य भर में लगभग 100 मामले दर्ज किए हैं और 85 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जबकि 581 अन्य को उनके माता-पिता और अभिभावकों की उपस्थिति में परामर्श दिया गया है।
उन्होंने सदन को बताया कि विभिन्न प्लेटफार्मों से लगभग 400 सोशल मीडिया पोस्ट हटा दिए गए हैं। एक अन्य सवाल के जवाब में सरमा ने कहा कि 2016 से पुलिस ने जिहादी गतिविधियों में कथित संलिप्तता के आरोप में 84 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है और उनमें से 10 विभिन्न निजी मदरसों में शिक्षक के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने कहा कि 84 लोगों में से 40 अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के सदस्य थे, 35 जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश के थे और नौ हिजबुल मुजाहिदीन के थे। एक अन्य सवाल के जवाब में सरमा ने कहा कि पिछले साल जनवरी से इस साल चार सितंबर के बीच सुरक्षा बलों के साथ 12 मुठभेड़ों में विभिन्न संगठनों के 19 आतंकवादी मारे गए।
(आईएएनएस)
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