बिहार में जातीय जनगणना में उपजातीय आधारित सभी धर्मों की गणना : डॉ संजय जायसवाल
बिहार बिहार में जातीय जनगणना में उपजातीय आधारित सभी धर्मों की गणना : डॉ संजय जायसवाल
डिजिटल डेस्क, पटना ।
बिहार प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा ) के अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने बुधवार को कहा कि जातीय जनगणना को लेकर हुई सर्वदलीय बैठक में इस बात की सहमति व्यक्त की गई कि जातीय एवं जाति में भी उपजातीय आधारित सभी धर्मों की गणना या सर्वेक्षण होगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षाता में सर्वदलीय बैठक में शामिल होने के बाद डॉ जायसवाल ने कहा कि हम केंद्र के बाबा साहब अंबेडकर जी के संविधान प्रदत सातवें शेड्यूल के अधिकारों में किसी तरह की छेड़खानी नहीं करेंगे। उन्होंने बताया कि नेता प्रतिपक्ष ने भी कहा कि यह सर्वे या गणना ओबीसी कमीशन या अन्य तरह से होनी चाहिए।डॉ जायसवाल ने कहा, भारत सरकार अपने जनगणना के आधार पर गरीबों के लिए योजनाएं बनाती है। अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 60 से ज्यादा योजनाएं गरीब कल्याण के लिए ही हैं। हम कभी उसमें जाति आधारित विभेद नहीं करते।
बैठक में जातिगत जनगणना से जुड़ी आशंकाओं पर हुई चर्चा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि अपनी बातों को रखते हुए मुख्यमंत्री के सामने तीन आशंकाएं प्रकट की जिनका निदान गणना करने वाले कर्मचारियों को स्पष्ट रूप से बताना होगा।उन्होंने कहा कि जातीय एवं उप-जातीय गणना के कारण कोई रोहिंग्या और बांग्लादेशी का नाम नहीं जुड़ जाए और बाद में वह इसी के आधार पर नागरिकता को आधार नहीं बनाए।इसके अलावे सीमांचल में मुस्लिम समाज में यह बहुतायत देखा जाता है कि अगड़े शेख समाज के लोग शेखोरा अथवा कुलहरिया बन कर पिछड़ों की हकमारी करने का काम करते हैं। यह भी गणना करने वालों को देखना होगा कि मुस्लिम में जो अगड़े हैं वह इस गणना के आड़ में पिछड़े अथवा अति-पिछड़े नहीं बन जाएं।
ऐसे हजारों उदाहरण सीमांचल में मौजूद हैं, जिनके कारण बिहार के सभी पिछड़ों की हकमारी होती है।
उन्होंने आशंका के तौर पर कहा कि भारत में सरकारी तौर पर 3747 जातियां है और केंद्र सरकार ने स्वयं सुप्रीम कोर्ट के हलफनामे में बताया कि उनके 2011 के सर्वे में 4.30 लाख जातियों का विवरण जनता ने दिया है। यह बिहार में भी नहीं हो इसके लिए सभी सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।
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