घाटी में चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, गैर-कश्मीरी भी डाल सकेंगे वोट, महबूबा मुफ्ती ने उठाए सवाल
जम्मू-कश्मीर घाटी में चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, गैर-कश्मीरी भी डाल सकेंगे वोट, महबूबा मुफ्ती ने उठाए सवाल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जम्मू -कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने की आशंकाओं के बीच यहां चुनाव आयोग ने बड़ा फैसले लिया है। प्रदेश के आगामी चुनाव में बाहरी लोग (गैर-कश्मीरी नागरिक) भी मतदान करने के योग्य होंगे।
जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार ने कहा कि जो गैर कश्मीरी लोग राज्य में रह रहे हैं, वे अपना नाम वोटर लिस्ट में शामिल कराकर वोट डाल सकते हैं। इसके लिए उन्हें निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षा के लिए तैनात सुरक्षाबलों के जवान भी वोटर लिस्ट में अपना नाम शामिल करा सकते हैं।
बढ़ सकते है 25 हजार वोटर
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद से अभी तक राष्ट्रपति शासन लागू है। हाल ही में घाटी के हालात बिगड़ने के कारण अभी तक विधानसभा चुनाव नहीं हो सके है। प्रदेश में कोई भी सत्तादल न होने के कारण, फिलहाल राज्यपाल मनोज सिन्हा वहां का प्रभार संभाले हुए है।
इस बीच हृदेश कुमार ने बताया कि जम्मू कश्मीर में इस बार करीब 25 लाख नए वोटरों का नाम वोटर लिस्ट में शामिल होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी, छात्र, मजदूर और कोई भी गैर स्थानीय जो कश्मीर में रह रहा है, वह अपना नाम वोटर लिस्ट में शामिल करा सकता है, जहां उसे इसके लिए स्थानीय निवास प्रमाण पत्र की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद पहली बार मतदाता सूची में विशेष संशोधन हो रहा है। ऐसे में उम्मीद है कि इस बार बड़े पैमाने पर बदलाव होगा। इतना ही नहीं तीन साल में बड़ी संख्या में युवा 18 साल या उससे अधिक उम्र के हो गए हैं।
बता दे, 15 सितंबर से वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, जो 25 अक्टूबर तक चलेगी। इसके बाद 10 नवंबर तक दावों और आपत्तियों का निपटारा किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में 18 साल से अधिक उम्र के करीब 98 लाख लोग हैं जिसके अनुसार अंतिम मतदाता सूची में मतदाताओं की कुल संख्या 76 लाख है।
महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने सरकार पर साधा निशाना
इस फैसले के बाद से घाटी में सरकार के खिलाफ आवाजें उठना शुरू हो गई हो। पीडीपी चीफ और प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस मामले को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाए है।
उन्होंने ट्वीट कर लिखा, "जम्मू कश्मीर में चुनावों को स्थगित करने संबंधी भारत सरकार का फैसला, पहले बीजेपी को लाभ पहुंचाने और अब गैर स्थानीय लोगों को वोट देने की अनुमति देने का फैसला चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए है। असली उद्देश्य स्थानीय लोगों को शक्तिहीन करके जम्मू-कश्मीर पर शासन जारी रखना है।"
GOIs decision to defer polls in JK preceded by egregious gerrymandering tilting the balance in BJPs favour now allowing non locals to vote is obviously to influence election results. Real aim is to continue ruling JK with an iron fist to disempower locals. https://t.co/zHzqaMseG6
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) August 17, 2022
वहीं, जम्मू-कश्मीर के एक और पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर पूछा, "क्या बीजेपी जम्मू-कश्मीर के वास्तविक वोटरों को लेकर इतनी असुरक्षा महसूस कर रहे हैं कि उसे चुनाव जीतने के लिए अस्थायी वोटरों को आयात करने की जरूरत है? उन्होंने कहा, जब जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने वोट का प्रयोग करने का मौका दिया जाएगा तो इनमें से कोई भी चीज बीजेपी के काम में नहीं आएगी।"
Is the BJP so insecure about support from genuine voters of JK that it needs to import temporary voters to win seats? None of these things will help the BJP when the people of JK are given a chance to exercise their franchise. https://t.co/ZayxjHiaQy
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) August 17, 2022