सिक्किम में दिखा बंद का असर
राजनीति सिक्किम में दिखा बंद का असर
डिजिटल डेस्क, गंगटोक। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सिक्किमी-नेपालियों को विदेशी करार दिए जाने के फैसले के विरोध में जेएसी द्वारा बुधवार को बुलाए गए 12 घंटे के बंद के दौरान राज्य में सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में ज्वाइंट एक्शन काउंसिल (जेएसी) द्वारा किए गए बंद के आह्वान को अच्छी प्रतिक्रिया मिली। सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक बंद, जिसे सत्तारूढ़ एसकेएम और विपक्षी एसडीएफ का भी समर्थन प्राप्त था, शांतिपूर्ण था और राज्य के किसी भी हिस्से में हिंसा की कोई खबर नहीं थी।
जेएसी अध्यक्ष शांता प्रधान ने कहा, यह बंद राज्य सरकार, केंद्र सरकार, किसी राजनीतिक दल और किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है। यह सिक्किम के लोगों के लिए है। राज्य भर में सभी वाणिज्यिक प्रतिष्ठान, बैंक, शैक्षणिक संस्थान और सरकारी कार्यालय बंद रहे। जेएसी के स्वयंसेवकों को सड़कों के किनारे धरना देते देखा गया। कस्बे और मुख्य मार्गो पर पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया गया था।
सड़कों पर सिर्फ सुरक्षा बलों, पुलिस और चिकित्सा सेवाओं के वाहन ही चलते दिखे। बंद के अपवाद में अस्पताल, मेडिकल स्टोर और व्यक्तिगत आपात स्थिति में शामिल होने वाले लोगों सहित सभी आपातकालीन प्रतिष्ठान और आवश्यक सेवाएं शामिल रहे। सिक्किम में बंद बहुत कम होते हैं, लेकिन सिक्किम के ओल्ड सेटलर्स एसोसिएशन द्वारा दायर एक याचिका पर 31 जनवरी के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें विदेशी मूल के रूप में संदर्भित किए जाने के बाद सिक्किम के बहुसंख्यक नेपाली भाषी समुदाय के बीच व्यापक असंतोष है।
जेएसी में सिक्किम के नागरिक समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि हैं और पिछले कुछ दिनों से रैलियों के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के फैसले में आपत्तिजनक संदर्भों के खिलाफ लोगों के अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। यह मांग कर रहा है कि अदालत की टिप्पणियों में विदेशी संदर्भों को मिटा दिया जाए और सिक्किम की परिभाषा को बहाल किया जाए।
(आईएएनएस)।
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