ममता, पवार के पॉलिटिक्स पॉवर फॉर्मूले पर चल कर सोनिया गांधी - राहुल गांधी ने क्यों राजनीतिक चतुराई नहीं दिखाई, क्या है कांग्रेस की रणनीति?
ED के नोटिस पर क्यों चूकी कांग्रेस? ममता, पवार के पॉलिटिक्स पॉवर फॉर्मूले पर चल कर सोनिया गांधी - राहुल गांधी ने क्यों राजनीतिक चतुराई नहीं दिखाई, क्या है कांग्रेस की रणनीति?
- बदले की भावना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आपने कई दफा केंद्र की जांच एजेंसियों पर राजनीतिक साजिश के तहत इनवेस्टीगेशन करने का आरोप लगते हुए सुना होगा। इसके उल्ट कई दफा राजनैतिक पार्टियों के जनमानस विरोधस्वरूप सेंट्रल जांच एजेंसियों ने अपनी जांचों को भी ठंडे बस्ते में डालकर उन्हें टाल ही दिया। ईडी एक्शन को लेकर कांग्रेस कह रही है कि राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है लेकिन कांग्रेस इस मामले को सियासी रूप नहीं दे पा रही है। जिस तरह से कांग्रेस के दूसरे साथी या दूसरे दल करने में कामयाब रहे।
अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि राहुल और सोनिया गांधी ने ईडी ऑफिस जाने के शरद पवार और ममता बनर्जी के फॉर्मूले को क्यों नहीं अपनाया, और इसमें इतनी देरी क्यों कर दी थी। सवाल है कि क्यों नहीं नोटिस मिलते ही सोनिया और राहुल दोनों ने खुद पहल की और पवार की तरह तत्काल ईडी कार्यालय पहुंचने का ऐलान किया?
केंद्रीय एजेंसियों के विरोध में बंगाल से लेकर महाराष्ट्र की राजनीति से उठे स्वरों में ईडी की कार्रवाइयां या तो दब गई है या फिर टाल दी गई हैं। हर एजेंसी के खिलाफ हर दल ने अपना अपना तोड़ निकाला है। लेकिन सभी का उद्देश्य एक ही रहा कार्रवाई को रोकना।
ममता बनर्जी ने अपनाया ये तरीका
आपको बता दें कुछ साल पहले ममता बनर्जी के एक मंत्री को सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टीगेशन की टीम ने अरेस्ट किया था, इसके चलते ममता बनर्जी कोलकाता में सीबीआई ऑफिस पहुंच गई और कार्यालय में वे करीब 6 घंटे तक बैठी रहीं। इस दौरान राज्य की पुलिस भी उनके साथ मौजूद रही वहीं टीएमसी के कई कार्यकर्ता कार्यालय के बाहर खड़े होकर सीबीआई के खिलाफ नारेबाजी करते रहे।
ये था शरद पवार का फॉर्मूला
बाद में ममता के फॉर्मूले पर महाराष्ट्र में एनसीपी नेता शरद पवार चल पड़े। जानकारी के मुताबिक सितंबर 2019 में ईडी ने जब महाराष्ट्र में 5 हजार करोड़ रुपए के कथित बैंक घोटले में शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार समेत कई लोगों पर प्रकरण दर्ज कर लिए थे। मुकदमे की सूचना मिलने के तुरंत बाद पवार ने ऐलान करते हुए कहा हम और एनसीपी कार्यकर्ता मुंबई ईडी ऑफिस में जाएंगे और अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे। ये वाक्य जब घटा उसके कुछ दिन बाद महाराष्ट्र राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले थे। ईडी कार्रवाई और पवार की घोषणा ने सियासत में भूचाल मचा दिया था। खबरों के मुताबिक हजारों एनसीपी कार्यकर्ता मुंबई ईडी कार्यालय जाने की तैयारी में जुट गए, आनन फानन में ईडी ने पवार को फौरन ई मेल भेजकर कार्यालय आने का मना कर दिया। इस दौरान राज्य की तत्कालीन बीजेपी सरकार के अलग से पसीने छूट गए। बताया जाता है कि उस समय खुद पुलिस कमिश्नर पवार के घर गए और उन्हें जैसे तैसे मनाकर ईडी ऑफिस आने को मना दिया। इसके बाद अभी तक पवार के खिलाफ ईडी की कार्रवाई करने को लेकर सुनने का मौका नहीं मिला। ना ही पवार को पेश होना पड़ा।
कांग्रेस क्या करेगी?
ऐसे में सवाल उठता है ईडी के नोटिस के बाद क्या कांग्रेस कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गाँधी और राहुल गांधी ईडी पूछताछ में हाजिर होंगे। या फिर ममता पवार वाली पॉलिटिक्स का खेल खेलेगी। हालांकि अभी तक राहुल गांधी और सोनिया गांधी दोनों में ऐसी किसी भी तरह का ऐलान नहीं किया है, लेकिन ऐसे संकेत मिल रहे है कि पूछताछ में उनके साथ कई कांग्रेस कार्यकर्ता भी साथ जाएंगे, और ईडी पर प्रश्न खड़ा कर उसका विरोध करेंगे। अभी हाल ही में राहुल गांधी के विदेश में होने के चलते 2 जून के पूछताछ टाइम को 13 जून कर दिया था। वहीं सोनिया गाँधी के कोरोना संक्रमित होने के चलते 8 जून को ईडी ऑफिस में पेश नहीं हो सकी।