धनखड़ ने राज्यसभा में एनजेएसी अधिनियम को रद्द किए जाने का उठाया मुद्दा

नई दिल्ली धनखड़ ने राज्यसभा में एनजेएसी अधिनियम को रद्द किए जाने का उठाया मुद्दा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-07 11:30 GMT
धनखड़ ने राज्यसभा में एनजेएसी अधिनियम को रद्द किए जाने का उठाया मुद्दा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को सदन में अपने पहले भाषण में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एनजेएसी अधिनियम को रद्द किए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, संसदीय संप्रभुता के गंभीर समझौते और लोगों के जनादेश की अवहेलना का एक स्पष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा कि सदन की शक्ति सर्वोच्च है और संशोधन करने के लिए इस संवैधानिक शक्ति का उपयोग करते हुए, संसद ने लोकतंत्र को और मजबूत करने के लिए संपूर्ण संरचनात्मक शासन परिवर्तन को प्रभावित किया।

उन्होंने कहा कि यह पंचायती राज, नगर पालिकाओं और सहकारी समितियों के लिए एक व्यापक तंत्र प्रदान करने वाले संविधान में भाग 9, 9 (ए) और 9 (बी) को शामिल करने के माध्यम से किया गया है। इसी तरह, संसद ने एक बहुत ही आवश्यक ऐतिहासिक कदम में, राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाला 99वां संवैधानिक संशोधन विधेयक पारित किया। इस ऐतिहासिक संसदीय जनादेश को सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर, 2015 को 4:1 के बहुमत से यह कहते हुए रद्द कर दिया था, कि यह संविधान के मूल ढांचे के न्यायिक रूप से विकसित सिद्धांत के अनुरूप नहीं है।

लोकतांत्रिक इतिहास में इस तरह के विकास के लिए कोई समानांतर नहीं है जहां एक विधिवत वैध संवैधानिक नुस्खे को न्यायिक रूप से पूर्ववत कर दिया गया है। संसदीय संप्रभुता के गंभीर समझौते और लोगों के जनादेश की अवहेलना का एक स्पष्ट उदाहरण है, जिसके संरक्षक यह सदन और लोकसभा हैं। उन्होंने कहा, वर्तमान में, संसद प्रामाणिकता के साथ लोगों के जनादेश और आकांक्षाओं को दर्शाती है।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि संसदीय प्रथा या विकल्प के रूप में कार्यवाही में बाधा और व्यवधान लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है। इस मामले में समसामयिक परि²श्य चिंता का विषय है और संविधान सभा में निर्धारित उच्च मानकों का पालन करना हमारे लिए अनिवार्य बनाता है।

(आईएएनएस)

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