पंजाब चुनाव में कितनी पॉवर फुल होगी कैप्टन की नई पार्टी!
पंजाब सियासत पंजाब चुनाव में कितनी पॉवर फुल होगी कैप्टन की नई पार्टी!
डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी नई पार्टी बनाने का एलान कर दिया है। जिससे अब पंजाब की राजनीति में गरमी बढ़ गई है। आपको बता दें कि कांग्रेस नेतृत्व से अपमानित होकर कैप्टन ने पंजाब सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद से ये तय माना जा रहा था कि जल्द ही कैप्टन बड़ा फैसला लेंगे। आखिरकार अब उन सभी अटकलों पर विराम लग गया है। बता दें कि कैप्टन अब उनसे बगावत करने वाले सिद्धू व कांग्रेस हाईकमान को 2022 चुनाव में संभलने को कोई मौका नहीं देना चाहते हैं। उन्होंने अकाली दल के विद्रोही गुट, भाजपा और पंजाब हितैषी राष्ट्रवादी पार्टी ताकतों के साथ गठजोड़ का इशारा किया है। कैप्टन के नई पार्टी बनाने के इशारे पर कांग्रेस हमलावर हो गई है। कांग्रेस को इतना पता है कि कैप्टन तो पंजाब में सरकार बना नहीं पाएंगे लेकिन कांग्रेस की गणित बिगाड़ जरूर देंगे। जिससे कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो सकती है।
कैप्टन की नई पार्टी में किसकी हो सकती है एंट्री!
आपको बता दें कि कैप्टन ने जैसे ही नई पार्टी बनाने एलान किया। वैसे ही राजनीतिक समीकरण को ठीक करने में भी जुट गए हैं। अमरिंदर सिंह जल्द ही शिरोमणि अकाली दल से अलग हो चुके रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा और सुखदेव सिंह ढींढसा को शामिल करने की बात कही है। इसके साथ ही कैप्टन बीजेपी से हाथ मिलाने की बात किए है। हालांकि भाजपा से गठबंधन को लेकर कहा कि तीन कृषि कानूनों को लेकर हो रहे, आंदोलन का समाधान होने पर ही संभावना बनेंगी। अगर तीन कृषि कानूनों को लेकर कोई हल निकल आता है फिर पंजाब में कैप्टन को हल्का में लेना भूल होगी। हालांकि कैप्टन पंजाब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद गृहमंत्री अमित शाह से भी मिले थे। तब भी यही कयास लगाए जा रहे थे कि कैप्टन बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। फिलहाल कैप्टन ने नई पार्टी बनाने का फैसला लिया है और 2022 पंजाब विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन कर चुनावी मैदान में भी उतरेंगे।
कितना प्रभावशाली है शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त)?
गौरतलब है कि कैप्टन अमरिंदर ने शिरोमणि अकाली दल छोड़ने वाले रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा और सुखदेव सिंह ढ़ींढसा पर सोच-समझकर कर दांव खेला है। सुखदेव सिंह ढ़ींढसा परिवार का जनाधार और प्रभाव पंजाब के मलावा क्षेत्र के संगरूर बरनाला, पटियाला में माना जाता है। मालवा पंजाब की सियासत का पावर सेंटर कहा जाता है। क्योंकि, 117 विधानसभा सीटों वाले पंजाब की करीब चार दर्जन से ज्यादा सीटें इसी मालवा क्षेत्र से आती हैं। बीते साल फरवरी में अकाली दल से निकाले जाने के बाद सुखदेव सिंह ढींढसा और रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) बना लिया है। शिअद (संयुक्त) की माझा क्षेत्र में भी अच्छी पकड़ है, जिसमें सूबे की 25 विधानसभा सीटें आती हैं। खडूर साहिब के पूर्व सांसद रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा की इस क्षेत्र में काफी असर है. खडूर साहिब को सिख धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस क्षेत्र में कई गुरुद्वारे, डेरा और बाबाओं का समीकरण भी है। इन क्षेत्रों का मतदाता पंथिक और अकालियों का साथ देने के लिए जाने जाते हैं। जिसका फायदा कैप्टन उठा सकते हैं।
कैप्टन को जमीनी मुद्दों पर कितनी पकड़ है?
आपको बता दें कि अमरिंदर सिंह पंजाब के सीएम के साथ-साथ राज्य के गृहमंत्री भी रहे। ये कहना गलत नहीं होगा कि पंजाब के हालातों को जितने बेहतर और करीबी से कैप्टन समझ सकते हैं, शायद ही कोई समझ सकता होगा। अमरिंदर सिंह की मानें, तो पाकिस्तान के साथ सीमा साझा करने वाले पंजाब में बीते एक साल में ड्रोन के जरिये हथियार, ड्रग्स, रुपये जैसी चीजों के भेजे जाने की घटनाओं में इजाफा हुआ है। आसान शब्दों में कहा जाए, तो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई खालिस्तानी स्लीपर सेल के सहारे पंजाब का माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रही है। इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि किसान आंदोलन में नजर आने वाले खालिस्तानी समर्थक कहीं न कहीं पंजाब में भिंडरावाले का समय दोहराने की कोशिश कर सकते हैं। वहीं, किसान आंदोलन का समाधान निकलवाकर कैप्टन पंजाब में हीरो बन सकते हैं, जो कांग्रेस आलाकमान से लेकर सूबे में पार्टी के संगठन तक को हिला सकता है।