आंध्र प्रदेश में बीजेपी को झटका, पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष का इस्तीफा
बीजेपी को लगा झटका आंध्र प्रदेश में बीजेपी को झटका, पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष का इस्तीफा
डिजिटल डेस्क, अमरावती। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को आंध्र प्रदेश में उस वक्त झटका लगा, जब वरिष्ठ नेता व पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कन्ना लक्ष्मीनारायण ने गुरुवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। लक्ष्मीनारायण, कुछ समय से पार्टी के राज्य नेतृत्व से नाखुश थे। उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को त्याग पत्र भेजा। उन्होंने गुंटूर में अपने अनुयायियों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद अपने निर्णय की घोषणा की। लक्ष्मीनारायण के समर्थकों ने भी भगवा पार्टी से इस्तीफा दे दिया। वरिष्ठ नेता, जिन्होंने पहले राज्य में भाजपा का नेतृत्व किया था, ने कहा कि वह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सोमू वीरराजू की कार्यशैली के कारण इस्तीफा दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वह जल्द ही अपने भविष्य की योजना की जानकारी देंगे। पूर्व मंत्री ने कहा कि वह सोमू वीरराजू के ²ष्टिकोण के कारण इस्तीफा दे रहे हैं लेकिन वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसक अब भी हैं। उन्होंने याद किया कि वह 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे और एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में काम किया था। उन्होंने कहा कि उनके काम के कारण पार्टी ने उन्हें 2018 में प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने सभी 175 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया और 2019 के चुनावों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की।
लक्ष्मीनारायण ने कहा कि उन्होंने 2024 में भाजपा को सत्ता में लाने के उद्देश्य से काम किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने जगन मोहन रेड्डी सरकार के गलत फैसलों के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व भी किया। पूर्व मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद नेतृत्व ने सोमू वीरराजू को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। लक्ष्मीनारायण सोमू वीरराजू द्वारा अध्यक्ष रहते हुए नियुक्त पार्टी की जिला इकाइयों के अध्यक्षों को हटाने से नाखुश थे। वह अभिनेता राजनेता पवन कल्याण की अगुवाई वाली पार्टी की सहयोगी जन सेना पार्टी के साथ उचित समन्वय स्थापित करने में विफल रहने के लिए भी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष से नाखुश थे।
पवन कल्याण की तरह लक्ष्मीनारायण भी कापू समुदाय से आते हैं। गुंटूर जिले से पांच बार के विधायक, लक्ष्मीनारायण ने चुनाव के कुछ महीनों बाद 2014 में कांग्रेस के साथ अपने लगभग चार दशक के संबंध को तोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने मंत्री के रूप में कार्य किया और वाई.एस. राजशेखर रेड्डी, के. रोसैया और किरण कुमार रेड्डी के मंत्रिमंडल में विभिन्न विभागों को संभाला।
(आईएएनएस)
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