भाजपा सरकार ने 9 सालों में कश्मीरी पंडितों के लिए कुछ नहीं किया : गुलाम अहमद मीर

दिल्ली भाजपा सरकार ने 9 सालों में कश्मीरी पंडितों के लिए कुछ नहीं किया : गुलाम अहमद मीर

Bhaskar Hindi
Update: 2023-02-26 18:30 GMT
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  • कश्मीरी पंडितों को राहत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई के वरिष्ठ नेता गुलाम अहमद मीर ने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले 9 सालों में जब से भाजपा की सरकार है, कश्मीरी पंडितों के लिए कुछ भी नहीं किया गया।

गुलाम अहमद मीर ने आईएएनएस संवाददाता सैयद मोजिज ईमाम जैदी से विशेष बातचीत में कहा कि भाजपा ने कश्मीरी पंडितों के हक में कोई फैसला नहीं लिया। कांग्रेस के गठबंधन की सरकार ने ही कश्मीरी पंडितों को राहत दी है।

गौरतलब है कि कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई में अंदरूनी कलह के बीच पिछले साल जुलाई में गुलाम अहमद मीर ने अपने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। वह बीते सात साल तक जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष थे। साल 2015 में उन्हें कांग्रेस नेतृत्व की ओर से प्रदेश कांग्रेस का प्रमुख नियुक्त किया गया था।

सवाल : क्या आप जम्मू -कश्मीर में नॉन भाजपा पार्टियों के साथ गठबंधन करेंगे?

जवाब : जैसा कांग्रेस, अधिवेशन में प्रस्ताव लाया गया और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कहा कि हम पूरे देश में समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ मिलकर काम करेंगे।

मीर ने कहा, यह जो भाजपा की गलत नीति वाली सरकार है इसको उखाड़ना हमारा लक्ष्य है। जिस तरह महंगाई, बेरोजगारी बढ़ रही है और देश में नफरत फैलाई जा रही है, इनको भगाना है। अगर कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर इस नीति को अपनाएगी तो जाहिर है, जम्मू कश्मीर में भी इसी नीति के तहत समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ कांग्रेस मिलकर काम करेगी।

उन्होंने कहा, पूरे देश में दो ही खेमे हैं, एक खेमा वह है जिसमें भाजपा और उस से निकली हुई क्षेत्रीय पार्टियां हैं और दूसरा खेमा उन क्षेत्रीय पार्टियों का है, जो किसी भी हालत में अब भाजपा के साथ नहीं जा सकते, जैसे- जम्मू कश्मीर में पीडीपी और नेशल कांफ्रेंस पार्टी अब भाजपा के साथ नहीं जा सकती, क्योंकि भाजपा ने केंद्र की सत्ता में रहते जम्मू-कश्मीर के लिए ऐसे फैसले लिए जो आम जनता के खिलाफ है, असंवैधानिक है। जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की ये रणनीति है कि वे पार्टियां जो किसी वजह से भाजपा की पॉलिसी से संतुष्ट नहीं हैं और स्थानीय लोगों की साथ खड़ा रहना चाहती हैं, ऐसी पार्टियों से हाथ मिलाने में कोई दिक्कत नहीं है।

सवाल : जम्मू-कश्मीर में मुद्दे अलग हैं और राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दे अलग हैं। वहां पूर्ण राज्य का मसला है, 370, 35ए का मसला है?

जवाब : फिलहाल तो मुख्य मुद्दा है पूर्ण राज्य, उस पर तो तकरीबन सभी पार्टियों में एक राय है। बाकी 370 और 35ए के मुद्दे पर कई पार्टियां पहले ही सुप्रीम कोर्ट जा चुकी है और जब मामला सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया तो उस पर कितना समय और लगेगा यह अलग बात है क्योंकि यह न्यायालय के अधीन है। अब हम राजनीतिक प्लेटफार्म पर इसकी चर्चा नहीं करेंगे, यह काम केवल भाजपा कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट में सब की आस्था है और अगर सुप्रीम कोर्ट में इसके पिटिशन को स्वीकार कर लिया है। तो लगभग सभी पार्टियों को यह पता है कि भाजपा जब तक सत्ता में है, इस मुद्दे पर कोर्ट की ओर से कोई फैसला नहीं आएगा। जब सरकार आयेगी, हम संसद या विधानसभा में इस मुद्दे पर कोई कदम उठा सकते हैं, उसके लिए राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर इस मुद्दे पर सभी पार्टियों को एकजुट होना जरूरी है।

सवाल : परिसीमन को लेकर जम्मू कश्मीर में जो हुआ है। क्या इस पूरी प्रक्रिया से कांग्रेस पार्टी संतुष्ट है?

जवाब : परिसीमन का जो नतीजा आया उस पर हमने तब भी सवाल उठाए थे मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। हमें भरोसा था कि राजनीतिक दलों को इसमें पूरी जानकारी दी जाएगी। भरोसे में लिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भौगोलिक तौर, पर जिस तरीके से मद्रास को जम्मू कश्मीर के साथ मिलाया गया। बंगाल को महाराष्ट्र के साथ मिलाया गया। इस तरीके से अलग-अलग मुद्दों को लेकर सीटें बनाई गई, कभी हुआ ही नहीं। एक फाइनल ड्राफ्ट जो लाया गया वह भी सुप्रीम कोर्ट में पड़ा हुआ है इस मसले को लेकर भी कई लोग सुप्रीम कोर्ट जा चुके हैं। अगर कमीशन नहीं सुनेगी, सरकार की ओर से इस मसले पर कोई सुनवाई नहीं होगी तो रास्ते तो सिर्फ अदालतों के ही बचे हैं। कश्मीर के लोग अब जल्द से जल्द चुनाव चाहते हैं। तीन लोग वहां सरकार चला रहे हैं वो भी तीनों नॉन जम्मू कश्मीर वाले हैं। स्थानीय लोगों की तो कोई सुनवाई ही नहीं है। न ही राजनीतिक स्तर पर और ना ही आम जन मानस की। अभी भरोसा नहीं है कि राज्य में चुनाव होंगे या नहीं।

सवाल : महागठबंधन की बात हो रही है नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस पार्टी बीच, उसमें क्या कश्मीरी पंडितों के लिए कोई नीति आ सकती है?

जवाब : क्यों नहीं, कश्मीरी पंडित कश्मीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और जो कुछ इस माइग्रेशन के बाद हुआ। वह तो कांग्रेस ने ही किया है और हमारे गठबंधन की जो सरकारें रहीं चाहे वह केंद्र में हो या फिर राज्य में हो। कांग्रेस के समय में ही कश्मीरी पंडितों को थोड़ी राहत दी गई। मनमोहन सरकार में कश्मीरी पंडितों को 7000 लोगों को रोजगार दिया गया। उनके रहने का एक स्थाई परिसर बनाया गया। इससे पहले वह टेंट उसमें गुजारा कर रहे थे। पिछले 9 सालों में जब से भाजपा की सरकार है, कश्मीरी पंडितों के लिए कुछ भी नहीं किया गया। यूपीए सरकार के समय 2014 में कश्मीरी पंडितों के लिए राहत राशि निर्धारित की थी। मोदी सरकार में आने के बाद इस महंगाई के दौर में उस राहत राशि को भी नहीं बढ़ाया गया जबकि महंगाई कई गुना अधिक बढ़ गई। कश्मीरी पंडितों के कई मुद्दे हैं अगर कांग्रेस पार्टी की सरकार जम्मू-कश्मीर में बनती है तो निश्चित तौर पर इन मुद्दों को ध्यान में रखा जाएगा और पार्टी की ओर से एक नीति बनाई जाएगी।

कश्मीरी पंडितों की प्रदेश वापसी को लेकर भी कांग्रेस पार्टी ने मनमोहन सरकार में 7 हजार के पैकेज का ऐलान किया था। बाद में यह तय किया गया कि हर परिवार को 25 लाख रुपए दिए जाएंगे। ताकि यह परिवार कश्मीर में अपना घर खरीद सकें। भाजपा की सरकार आने के बाद तो इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया ही नहीं गया।

निश्चित तौर पर कश्मीर राज्य देश का मुख्य हिस्सा है, इस समाज का अभिन्न अंग है, इनकी परेशानियों को दूर करना कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता है।

 

आईएएनएस

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