पूर्वांचल में बीजेपी उठा सकती भारी नुकसान, टिकट बंटवारे में नहीं चली योगी आदित्यनाथ की

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 पूर्वांचल में बीजेपी उठा सकती भारी नुकसान, टिकट बंटवारे में नहीं चली योगी आदित्यनाथ की

Bhaskar Hindi
Update: 2022-02-05 12:21 GMT
पूर्वांचल में बीजेपी उठा सकती भारी नुकसान, टिकट बंटवारे में नहीं चली योगी आदित्यनाथ की

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधान चुनाव के पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को होने वाला है। जिसको लेकर सभी राजनीतिक दल सत्ता में वापसी के लिए चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। जातीय समीकरण के आधार पर सभी पार्टियां टिकटों का बंटवारा कर रही हैं। हालांकि जिन नेताओं को टिकट नहीं मिला है, उनको मना पाना पार्टियों के लिए बड़ी चुनौती है। इसी कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने बीते शुक्रवार को एक ट्वीट किया कि पूर्वी यूपी में टिकट वितरण बहुत खराब रहा है। अगर सुधार नहीं कर पाए तो बीजेपी को भारी नुकसान उठाना पड़ा सकता है, ये बात पार्टी को भी पता है। इसी मुद्दे पर भास्कर हिंदी संवाददाता अनुपम तिवारी ने वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी से खास बातचीत की।

पूर्वांचल में टिकट वितरण में योगी की नहीं चली

यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने जिन प्रत्याशियों को पूर्वांचल से उतारा है। उसको लेकर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी कहते है कि पूर्वांचल में बीजेपी के कई विधायकों के टिकट कटने थे, उनमें से वही विधायक थे जो दूसरे राजनीतिक दल से निकलकर बीजेपी के टिकट पर लड़कर 2017 में चुनाव जीते थे। लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्या के बीजेपी छोड़ने के बाद जो चुनावी माहौल बनें, उसी से उन सब की टिकट नहीं कटा। वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने आगे कहा कि उनमें से कुछ टिकट तो ऐसे थे, जिनका बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ बेहतर तालमेल नहीं था।

वरिष्ठ पत्रकार का मानना है कि भले योगी मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा जा रहा लेकिन टिकट वितरण का मुद्दा पूर्वांचल की सियासत में मैटर करता है। उन्होंने कहा कि विशेषकर  जौनपुर, प्रयागराज में सीटों का बंटवारा बहुत खराब रहा। वरिष्ठ पत्रकार ने ये भी कहा कि कुछ तो सीटें ऐसी हैं कि पार्टी को भी पता है कि वहां से प्रत्याशी का जीतना मुश्किल होगा, फिर भी टिकट दे दिया गया है। उन्होंने दावा किया कि टिकट वितरण में योगी आदित्यनाथ की न के बराबर चली है। संगठन की रिपोर्ट के आधार पर ही लोगों को टिकट बांटा गया है।

पश्चिमी यूपी से ज्यादा मुश्किलें पूर्वांचल में 

वरिष्ठ पत्रकार से जब ये पूछा गया कि पूर्वांचल में पिछली विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी को 164 सीटों के मुकाबले 115 सीटें मिली थी, अबकी बार बीजेपी पुराना प्रदर्शन दोहरा पायेगी? इस पर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी कहते हैं कि इसमें मुझे संदेह लगता है। वो कहते है कि अबकी बार पश्चिमी यूपी की अपेक्षा पूर्वांचल में बीजेपी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

उन्होंने बताया कि उसकी दो-तीन बड़ी वजह हैं। वरिष्ठ पत्रकार आगे कहते हैं कि जौनपुर, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर इन जिलों में राजभर का फैक्टर थोड़ा बहुत काम करेगा। क्योंकि इन जिलों में करीब 50 फीसदी सीटों पर राजभर समुदाय है। दूसरा ये है कि मुस्लिम एकजुट हैं क्योंकि इस बार मुख्तार अंसारी का पूरा समर्थन सपा के साथ है। तीसरा ये कि मुस्लिम और राजभर मिलकर यादव के साथ ठीक-ठाक सियासी समीकरण बनाते हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ जो प्लस था वो राजभर, माइनस राजभर हुआ है तो वो पूर्वी यूपी में हुआ है न कि पश्चिमी में। पश्चिमी यूपी में कुछ माइनस नहीं हुआ है। पश्चिमी में तो जितना जाट को जिधर जाना था वो पहले भी गया है।  

पूर्वांचल में दो ट्रंप कार्ड

वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी कहते है कि अबकी बार पूर्वांचल में बीजेपी के लिए मुश्किल ज्यादा है। हालांकि बीजेपी के लिए दो ट्रंप कार्ड हैं एक तरफ गोरखपुर में योगी तो दूसरी तरफ काशी में मोदी हैं। अब देखना कि योगी मोदी प्रत्याशियों की नाराजगी और राजभर फैक्टर की कितनी भरपाई कर पाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि पूर्वांचल में बीजेपी के सीटों के नंबर कुछ न कुछ जरूर कम होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं हैं। 

अयोध्या, मथुरा से योगी के चुनाव लड़ने की चर्चा नहीं हुई

वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी से जब पूछा गया कि क्या बीजेपी ने पूर्वांचल को मजबूत करने गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ को चुनावी मैदान में उतारा है? क्योंकि खबरें आ रही थी कि योगी अयोध्या या फिर मथुरा से चुनाव लड़ सकते हैं। इस पर वरिष्ठ पत्रकार ने बेबाकी से कहा कहा कि ये खबर मीडिया के दिमाग की उपज थी। बीजेपी में कभी भी इस बात को लेकर  चर्चा नहीं हुई।

उन्होंने कहा कि मथुरा से खुद प्रदेश सरकार के मंत्री श्रीकांत शर्मा हैं। दिल्ली में उनकी अच्छी पैठ है। जिसकी वजह से बिल्कुल असंभव था कि श्रीकांत शर्मा का टिकट कटता। दूसरा अयोध्या की बता करें तो अयोध्या में योगी ने विकास काफी किया, लेकिन उससे विधानसभा का समीकरण बदल जायेगा, ये असंभव सा है।

उन्होंने आगे कहा कि योगी को पता है कि उनकी सबसे अच्छी सीट गोरखपुर है क्योंकि अयोध्या या फिर मथुरा से लड़ने पर योगी सीएम नहीं बने हैं। योगी को घूमफिर कर गोरखपुर ही जाना था, उसमें कोई दो राय नहीं थी। वरिष्ठ पत्रकार ने आगे कहा कि गोरखपुर से योगी के चुनाव लड़ने पर ये जरूर है कि देवरिया, कुशीनगर व बस्ती की सीटों जरूर प्रभाव पड़ेगा। बाकी तो योगी और मोदी फैक्टर ही पूरे प्रदेश में काम कर रहा है। 

पश्चिमी यूपी में पार्टी की तो पूर्वी में संगठन की चली

वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कहा कि बीजेपी के टिकट बंटवारे में अगर हम पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां पार्टी की चली है, जिसको खुद अमित शाह देख रहे थे। लेकिन पूर्वी यूपी में संगठन के एक व्यक्ति की चली है, यहां पर योगी की कुछ नहीं चली। हालांकि वरिष्ठ पत्रकार का मानना है कि अभी पूर्वांचल के सभी सीटों पर प्रत्याशी बीजेपी ने नहीं उतारे हैं। उन्होंने कहा कि जब पार्टी सभी सीटों पर प्रत्याशी उतार देगी तो पिक्चर अपने आप क्लियर हो जायेगी। 

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