मध्यप्रदेश जीतने के लिए बीजेपी लागू कर सकती है गुजरात फॉर्मूला, जानें क्यों घट गई बीजेपी की 15 साल में इतनी फीसदी सीटें?
मध्य प्रदेश सियासत मध्यप्रदेश जीतने के लिए बीजेपी लागू कर सकती है गुजरात फॉर्मूला, जानें क्यों घट गई बीजेपी की 15 साल में इतनी फीसदी सीटें?
डिजिटल डेस्क, भोपाल। गुजरात चुनाव में बंपर जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी की नजर अगले साल होने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव पर है। चुनाव को मद्देनजर रखते हुए पार्टी ने अपने तैयारियां भी शुरू कर दी है। जिससे मप्र की सियासत में गरमी बढ़ चुकी है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए गुजरात फॉर्मूला अपना सकती है। ऐसा होने पर शिवराज सरकार में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है। क्योंकि गुजरात चुनाव से पहले मुख्यमंत्री विजय रूपाणी समेत पूरे मंत्रिमंडल को बदल दिया गया था। यहां तक कि कई मौजूदा विधायकों का टिकट भी काट दिया गया था।
15 साल सीएम की कुर्सी संभाल रहे शिवराज
मप्र में बीजेपी 15 सालों से काबिज है। शिवराज सिंह चौहान साल 2005 से ही मुख्यमंत्री की कुर्सी विराजमान हैं। लंबा कार्यकाल होने की वजह से सत्ता विरोधी लहर भी हावी है। हाल ही में हुए नगर निगम चुनाव के नतीजे आने के बाद से स्पष्ट हो चुका है कि बीजेपी के लिए साल 2023 विधानसभा चुनाव आसान नहीं होने वाला है। इस चुनाव में बीजेपी के मंत्रियों वाले क्षेत्र में भी जीत नहीं मिली है। जिन जिलों में बीजेपी के बड़े नेताओं का दबदबा रहता था, वहां से भी बीजेपी को बुरी तरह से हार ही मिली है।
राज्य में बीजेपी व कांग्रेस का दबदबा रहा लेकिन इस बार नगरीय निकाय चुनाव में आप की एंट्री ने बीजेपी की चिंता दोगुनी कर दिया है। आम आदमी पार्टी ने सिंगरौली में महापौर की सीट छीन लिया है। स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने 814 में से 417 सीटों पर जीत दर्ज की है।
पार्टी के अंदर सर्वे रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कई मंत्रियों व विधायकों के क्षेत्रों में पार्टी की स्थिति बेहतर नहीं है। ऐसे में इन लोगों की उम्मीदारी पर भी तलवार लटकने के आसार है। हालांकि, आगामी विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी भी मप्र की सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारती है तो मुकाबला काफी दिलचस्प देखने को मिल सकता है।
बीजेपी की इतनी फीसदी सीटें घटी
भाजपा के पिछले आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि साल 2003 से लेकर 2018 तक के विधानसभा चुनावों में बीजेपी का कुल करीब 37 फीसदी सीटों का नुकसान हुआ है। जबकि पार्टी को वोट शेयर में करीब 1.5 फीसदी का ही नुकसान उठाना पड़ा है। साल 2003 के मप्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 230 सीटों में से 173 सीटें यानी 42.50 फीसदी मिले थे।
साल 2008 में बीजेपी की सीटें घटकर 143 हो गईं जबकि वोट शेयर 37.64 फीसदी रह गया। हालांकि, साल 2013 के चुनावों में जब शिवराज सरकार के आठ साल पूरे हुए तब बीजेपी ने कुल 165 सीटें जीतीं। इस साल बीजेपी को 44.88 फीसदी वोट शेयर मिले लेकिन पांच साल बाद 2018 में 109 सीट मिली जबकि 41.02 फीसदी वोट शेयर रहा। पार्टी को 2003 विधानसभा से लेकर 2018 तक कुल 64 सीटों पर 37 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ा है।