बिहार विकास के बावजूद जनसंख्या वृद्धि के कारण फिसड्डी - डॉ संजय जायसवाल
बिहार बिहार विकास के बावजूद जनसंख्या वृद्धि के कारण फिसड्डी - डॉ संजय जायसवाल
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में पिछले कुछ दिनों से जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर हो रही चर्चा के बीच गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने साफ लहजे में कहा कि बिहार विकास करने के बाद भी केवल जनसंख्या वृद्धि के कारण बिहार फिसड्डी दिखता है।
उन्होंने इसके लिए कानून बनाने और बेटियों को पढ़ाने जैसे जनसंख्या स्थिरीकरण के उपायों को भी सिरे से नकार दिया।भाजपा नेता डॉ जायसवाल जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए कानून बनाने और बेटियों को पढ़ाते रहने की दलीलों को सही नहीं मानते।
उन्होंने अपने फेसबुक वॉल पर इससे संबंधित एक पोस्ट में लिखा है कि भारत की आबादी 464 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, जबकि 10 साल पहले यह 382 थी। बिहार की आबादी 1224 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, जो भारत से 3 गुना ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए हाथ पर हाथ धर कर बैठने से इसका निदान नहीं निकलेगा। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस देश में पहली बार बालिका साइकिल योजना चलाई थी। उस समय कई छोटी बच्ची साइकिल के लिए नौवीं कक्षा में पढ़ना चाहती थी।
आज उसी बालिका साइकिल योजना का परिणाम है कि ने स्त्री (बालिका) शिक्षा की उन्नति मे 2 पीढ़ियों का लगने वाला समय महज 2 वर्षों में पाट दिया।उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए भी इसी प्रकार योजना बनाकर कम बच्चे वालों को हमें प्रोत्साहित करना होगा।
बेतिया के सांसद ने कहा कि जब हम 6000 रुपये पहले दो बच्चे पैदा करने के लिए दे सकते हैं तो 1 बच्चे वाले को भी हम एक बड़ी आर्थिक सहायता के साथ पूरे परिवार का बीमा और बिहार के हर स्कूल में पहला एडमिशन 1 बच्चे वाले परिवार को देने के अधिकार, जैसी प्रोत्साहन योजनाएं चलाकर लक्ष्य तेजी से हासिल कर सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जहां भारत जनसंख्या स्थिरीकरण प्राप्त कर चुका है, वहीं हम आज भी 3 गुना रफ्तार पकड़े हुए हैं और इसे रोकने की कोई योजना नहीं बना रहे। बिहार में जितने नए अस्पताल और स्कूल बनते हैं उससे ज्यादा बच्चे हम पैदा कर लेते हैं।
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि दक्षिण के राज्यों ने 80 के दशक में ही जनसंख्या स्थिरीकरण प्राप्त कर लिया। वहां कोई विकास होता है तो वह राज्य के मानकों को बेहतर करता है, जबकि हम इतना विकास करने के बाद भी केवल जनसंख्या वृद्धि के कारण फिसड्डी दिखते हैं।उल्लेखनीय है कि दो दिन पूर्व मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया था, जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने की जरूरत नहीं। उन्होंने कहा था कि लड़कियों को शिक्षा देकर जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
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