ममता बनर्जी की पार्टी समेत इन दलों से छिना राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा, जान लीजिए वो नियम जिसके तहत चुनाव आयोग तय करता है दलों का दर्जा, ये मिलते हैं फायदे
दलों का 'दर्जा' ममता बनर्जी की पार्टी समेत इन दलों से छिना राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा, जान लीजिए वो नियम जिसके तहत चुनाव आयोग तय करता है दलों का दर्जा, ये मिलते हैं फायदे
डिजिटल डेस्क,दिल्ली। केंद्रीय चुनाव आयोग ने सोमवार शाम को पार्टियों के स्टेटस को लेकर बड़ा फैसला लिया है। चुनाव आयोग ने टीएमसी,सीपीआई और एनसीपी से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन लिया गया है। जबकि आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया है। चुनाव आयोग ने इस दौरान कहा कि इन दलों को दो लोकसभा चुनावों और 21 राज्य विधानसभा चुनावों के मौके दिए गए थे लेकिन पार्टियां अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाईं जिस वजह से उनका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस लिया गया है।
कोई भी राजनैतिक पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलना आसान नहीं होता है। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने की प्रकिया भी आसान नहीं होती है। यही नहीं पार्टियों को जब राष्ट्रीय पार्टी कर दर्जा मिलता हो तो उसे उसके फायदे भी मिलते हैं।
किसे मिलता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा
- 4 या उससे अधिक राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा मिला हो।
- लोकसभा या राज्यों के विधानसभा चुनावों में 4 अलग-अलग राज्यों से कुल वैध मतों के 6 प्रतिशत वोट प्राप्त करे तथा इसके अलावा 4 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करे।
राष्ट्रीय पार्टी को मिलने वाले फायदे
- राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने पर पार्टी किसी भी राज्य में अपनी उम्मीदवार खड़ा कर सकती है।
- पार्टी के लिए पूरे देश में एक ही चुनाव चिंह रिजर्व हो जाता है। जिसका इस्तमाल कोई और पार्टी नहीं कर सकती।
- चुनाव आयोग मतदाता सूची संशोधन पर दो सेट फ्री में देता है। साथ ही प्रत्याशियों को भी मतदाता सूची मुफ्त में देता है।
- चुनाव में नामांकन दाखिल किए जाने के दौरान प्रत्याशी के साथ एक प्रस्तावक भी मान्य होता है।
- दिल्ली में पार्टी के लिए केंद्रीय कार्यालय खोलने का अधिकार मिल जाता है। सरकार इसके लिए कोई जमीन या बिल्डिंग देती है।
- पार्टी 40 स्टार प्रचारकों को चुनाव प्रचार के दौरान उतार सकती है। जिनका खर्च पार्टी के प्रत्याशी के चुनावी खर्च में शामिल नहीं किया जाता है।
- पार्टी को चुनाव से पहले दूरदर्शन और आकाशवाणी के जरिए एक तय समय दिया जाता है तकि वह जन-जन तक अपना संदेश पंहुचा सके।
क्यों छीना गया राष्ट्रीय पार्टी के दर्जा
- चुनाव आयोग के अनुसार ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जी 2016 में दिया गया था। लेकिन गोवा और कुछ पूर्वोत्तर के राज्यों में खराब प्रदर्शन की वजह से यह दर्जा वापस लिया गया।
- अरूणाचल प्रदेश से पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में एक राज्य पार्टी के मानदंडो को पूरा नहीं किया।
- एनसीपी से गोवा,मणिपुर और मेघालय में आए खराब नतीजों के यह दर्जा वापस ले लिया गया। शरद पवार ने एनसीपी का गठन 1999 में किया था। 2000 में इसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया गया था।
आप ने दर्जे के लिए लड़ी कानूनी लड़ाई
गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में आए नतीजों के बाद आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी कर दर्जा पाने की हकदार हो गयी थी। लेकिन चुनाव आयोग की तरफ से यह दर्जा दिए जाने में देरी हो रही थी। जिसके बाद पार्टी ने कर्नाटक हाईकोर्ट का रूख किया था।
कर्नाटक में आप के नेता पृथ्वी रेड्डी की तरफ से कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में कहा गया था कि आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने की सभी शर्तों को पूर करती है। इसके बाद भी यह दर्जा देने में देरी की जा रही है। कोर्ट ने चुनाव आयोग से 13 अप्रेल तक यह फैसला करने को कहा था कि आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया जाएगा या नहीं।