केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के क्षेत्र में भाजपा की एक और हार
मध्यप्रदेश केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के क्षेत्र में भाजपा की एक और हार
- केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के क्षेत्र में भाजपा की एक और हार
डिजिटल डेस्क,भोपाल । मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। इन चुनावों में सबसे ज्यादा सियासी नुकसान केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल का हुआ है क्योंकि उनके संसदीय क्षेत्र दमोह में जिला पंचायत और नगर पालिका अध्यक्ष पद भाजपा के खाते में नहीं आए हैं।
दमोह नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा के हिस्से में हार आई है और यहां कांग्रेस के उम्मीदवार की जीत हुई है। इस हार को प्रहलाद पटेल ने स्वीकार करते हुए ट्वीट किया है, दमोह नगर पालिका अध्यक्ष के निर्वाचन में परिणाम हमारे विरुद्ध गया, इसकी मैं जिम्मेदारी लेता हूं क्योंकि अल्पमत के बाद चुनाव लड़ने की तैयारी में मेरी सहमति थी, जोड़-तोड़ की राजनीति में हम विफल हुए लेकिन हमारी टीम दमोह के विकास और संगठन के विस्तार में पूरी ताकत लगाएगी।
दमोह में बीते समय में हुए कुछ चुनावों पर नजर दौड़ाई जाए तो यहां के नतीजे भाजपा की उम्मीदों के खिलाफ आए हैं। बीते साल विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार राहुल लोधी को हार का सामना करना पड़ा था और यहां से कांग्रेस के अजय टंडन को जीत मिली।
इसी तरह जिला पंचायत के चुनाव में भी कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार रंजीता गौरव पटेल ने जीत दर्ज की है। यहां भाजपा की अधिकृत उम्मीदवार जानकी चंद्रभान सिंह लोधी तो अपना नामांकन तक नहीं भर पाई क्योंकि निर्दलीय उम्मीदवार जमुना बाई देशराज पटेरिया ने भाजपा समर्थित जिला पंचायत सदस्यों में सेंधमारी कर दी थी।
दमोह की सियासत पर नजर रखने वालों का मानना है कि केंद्रीय राज्यमंत्री पटेल और पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बीच सियासी अदावत किसी से छुपी नहीं है। मलैया यहां से कई बार विधानसभा का चुनाव जीते है, पिछले आम चुनाव में उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार राहुल लोधी से हार का सामना करना पड़ा था, बाद में लोधी भाजपा में शामिल हो गए और उप-चुनाव में पार्टी ने उम्मीदवार बनाया। इससे मलैया परिवार नाराज हुआ, उप चुनाव में मलैया परिवार ने पार्टी उम्मीदवार का विरोध किया, जिस पर उनके खिलाफ पार्टी ने अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की। मलैया के पुत्र सिद्धार्थ मलैया तो बागी हो चुके है और उन्होंने नगर पालिका के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में उतार, पांच को जीत भी मिली।
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