सीएम के अपमानजनक ट्वीट्स पर कानूनी राय लेने के बाद ही बजट सत्र पर सहमति

पंजाब सियासत सीएम के अपमानजनक ट्वीट्स पर कानूनी राय लेने के बाद ही बजट सत्र पर सहमति

Bhaskar Hindi
Update: 2023-02-23 13:30 GMT
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डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच गुरुवार को अनबन तेज हो गई, पुरोहित ने कहा कि वह 3 मार्च को राज्य के प्रस्तावित बजट सत्र की अनुमति देने पर निर्णय अपमानजनक और स्पष्ट रूप से असंवैधानिक ट्वीट्स और पत्र पर कानूनी सलाह लेने के बाद ही करेंगे।

राज्यपाल इस महीने की शुरूआत में मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र के जवाब का जिक्र कर रहे थे। उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर उस समय निशाना साधा जब राज्य अपने पहले निवेशक शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा था और कई उद्योगपति यहां इकट्ठे हुए थे।

मंगलवार को मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में राज्यपाल ने कहा कि वह मुख्यमंत्री के ट्वीट और पत्रों पर कानूनी राय लेने के बाद ही विधानसभा का बजट सत्र बुलाने पर फैसला लेंगे। मंत्रिपरिषद ने सिफारिश की थी कि बजट सत्र 3 मार्च से 24 मार्च तक आयोजित किया जाए और राज्यपाल की स्वीकृति के लिए पत्र उन्हें भेजा गया था।

पत्र में राज्यपाल पुरोहित ने मुख्यमंत्री द्वारा उनके पत्र के जवाब में 13 और 14 फरवरी को भेजे गए ट्वीट और पत्र को फिर से प्रस्तुत किया। 13 फरवरी को, राज्यपाल ने प्रशिक्षण के लिए सिंगापुर भेजे जाने वाले शिक्षकों के चयन में पारदर्शिता की कमी सहित पिछले कुछ हफ्तों में आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा लिए गए फैसलों पर सवाल उठाते हुए उनकी आलोचना की थी।

उन्होंने पंजाब इन्फोटेक के चेयरपर्सन के रूप में दागी व्यक्ति की नियुक्ति पर भी सवाल उठाया था और कहा था कि वह संपत्ति हड़पने और अपहरण के मामलों में आरोपी है। राज्यपाल ने प्रधानाध्यापकों को सिंगापुर भेजने के लिए उनकी पूरी चयन प्रक्रिया का मानदंड और विवरण मांगा था क्योंकि इसमें पारदर्शिता नहीं के आरोप थे।

गर्वनर ने कहा- कृपया यह भी विवरण दें कि क्या यह (मानदंड) पूरे पंजाब में व्यापक रूप से प्रकाशित हुआ था। समाचार रिपोटरें के अनुसार पहला बैच वापस आया है, कृपया मुझे यात्रा और रहने, रहने और प्रशिक्षण पर हुए कुल खर्च का विवरण दें। राज्यपाल ने छात्रवृत्ति का वितरण न देने और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के अवैध रूप से नियुक्त कुलपति को हटाने के संबंध में अपने पत्र पर सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया था।

चंडीगढ़ के पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कुलदीप सिंह चहल का मुद्दा उठाते हुए राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पर अधिकारी के सभी गलत कामों को नजरअंदाज करने और उन्हें पदोन्नत करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था- आपने न केवल उन्हें पदोन्नत किया है बल्कि उन्हें जालंधर के आयुक्त के रूप में भी तैनात किया है और वह भी 26 जनवरी से ठीक पहले जारी किए जा रहे आदेश, यह जानते हुए कि राज्यपाल को जालंधर में राष्ट्रीय ध्वज फहराना है। मुझे डीजीपी को निर्देश देना पड़ा कि अधिकारी को समारोह के दौरान दूरी बनाए रखनी चाहिए। इस मुद्दे पर, ऐसा लगता है कि यह अधिकारी आपका चहेता था और आपने आपके ध्यान में लाए गए तथ्यों को नजरअंदाज करना चुना।

राज्यपाल ने चेतावनी दी थी- मेरे द्वारा मांगी गई पूरी जानकारी कम से कम अब एक पखवाड़े के भीतर प्रस्तुत की जाए। यदि आप निर्धारित समय अवधि के भीतर यह जानकारी प्रदान करने में विफल रहते हैं क्योंकि पहले से ही पर्याप्त समय बीत चुका है तो मैं आगे की कार्रवाई के लिए कानूनी सलाह लेने के लिए मजबूर हो जाऊंगा, क्योंकि मैं संविधान की रक्षा के लिए बाध्य हूं।

 

 (आईएएनएस)

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