नीतीश कुमार के बाद शरद पवार ने शुरू की विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद, 2024 की सियासी जंग के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाने के लिए ममता तैयार
मिशन- 2024 लोकसभा चुनाव नीतीश कुमार के बाद शरद पवार ने शुरू की विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद, 2024 की सियासी जंग के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाने के लिए ममता तैयार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 2024 लोकसभा चुनाव होने में भले ही करीब डेढ़ साल बचे हैं लेकिन मोदी को कड़ी टक्कर देने के लिए विपक्षी पार्टियां तैयारी शुरू कर दी हैं। हाल ही के दिनों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एकजुट करने लिए दिल्ली गए थे। जहां पर उन्होंने राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, शरद पवार, अखिलेश यादव व अन्य कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात की थी। नीतीश कुमार विपक्षी पार्टियों को 2024 लोकसभा चुनाव में एकजुट होकर लड़ने की अपील कर रहे हैं। नीतीश का कहना है कि बिना एकजुटता के मोदी की विजय रथ को रोक पाना मुश्किल है। नीतीश के इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए अब एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार भी शामिल हो चुके हैं और विपक्षी पार्टियों को एक साथ लाने की तैयारी में जुट गए हैं।
शरद पवार सबसे पहले कांग्रेस व ममता के बीच की दूरी को खत्म करने की मध्यस्थता कर रहे हैं। इसी कड़ी में बुधवार को उनका एक बयान आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि तृणमूल प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राष्ट्रीय हित को देखते हुए कांग्रेस से सारे मतभेद भुलाकर आगामी 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने को तैयार हैं। साथ ही ममता बनर्जी सभी विपक्षी दलों के साथ गठबंधन करने को भी तैयार हैं। शरद पवार इसे अच्छी तरह जानते हैं कि बिना कांग्रेस को साथ लिए विपक्षी पार्टियां मोदी को सत्ता से बाहर करने के बारे में सोच भी नहीं सकती क्योंकि कांग्रेस का विस्तार पूरे देश में है। जिसका फायदा विपक्षी दलों को गठबंधन करने पर मिल सकता है।
विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे पवार
जहां राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होकर कांग्रेस को मजबूती दे रहे हैं तो वहीं अन्य विपक्षी दलों के नेता मोदी को आगामी लोकसभा चुनाव में सत्ता में आने से रोकने के लिए विपक्षी एकजुटता पर जोर दे रहे हैं। नीतीश कुमार के बाद अब एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी इसकी कवायद शुरू कर दी है। उन्होंने कहा है कि कुछ नेता जिनमें बिहार के सीएम नीतीश कुमार व जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला शामिल हैं। जो सत्तारूढ़ मोदी सरकार के खिलाफ गठबंधन करने के लिए कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने को तैयार हैं। वैसे शरद पवार राजनीतिक के पुराने खिलाड़ी हैं। उन्हें पता है कि बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकने लिए अभी से सियासी पिच पर उतरना पड़ेगा और ताकि आगामी लोकसभा चुनाव में कड़ी टक्कर दिया जा सके।
क्यों थीं ममता की नाराजगी?
ममता व कांग्रेस के बीच नाराजगी की सबसे बड़ी वजह पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव रही। इस चुनाव में कांग्रेस ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ गठबंधन किया था। बीजेपी को भले ही चुनाव हार गई लेकिन अच्छी खासी सीटें मिली थी। तृणमूल को लगा कि कांग्रेस ने माकपा के साथ गठबंधन कर बीजेपी को सीधे लाभ पहुंचाया। बताया जा रहा है कि तभी से ममता व कांग्रेस के बीच तल्खी बढ़ गई थी। पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद तृणमूल कांग्रेस के पदाधिकारी कांग्रेस से काफी खफा चल रहे थे लेकिन पार्टी मुखिया का रूख बदलने की वजह से नाराजगी जल्द दोस्ती में बदल सकती है। गौरतलब है कि तृणमूल ने पिछसे साल मई में विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल की थी और वर्तमान में उसी की सरकार है।
कांग्रेस पर बन सकती है सहमति
शरद पवार ने आगे कहा है कि कांग्रेस को लेकर कई विपक्षी दलों के प्रमुखों की एक मत है और उनका कहना है कि बीजेपी को हटाने के लिए कांग्रेस को साथ लाना जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी के विकल्प के तौर पर कांग्रेस को महत्व दिया जा सकता है।