अडानी पर आप ने प्रधानमंत्री से पूछे पांच सवाल
अडानी मामला अडानी पर आप ने प्रधानमंत्री से पूछे पांच सवाल
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरू। आम आदमी पार्टी के कर्नाटक संचार प्रभारी बृजेश कलप्पा ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्लोकल और अमृत काल जैसे शब्दों के सहारे लोगों को गुमराह कर रहे हैं। कलप्पा ने उद्योगपति अडानी से जुड़े पांच सवालों के जवाब देने की चुनौती दी।
उन्होंने कहा- अडानी कंपनी दिन-ब-दिन लंगड़ाती जा रही है। इस संदर्भ में, हम पीएम मोदी से कुछ सवाल पूछना चाहते हैं। क्या अडानी को मई 2015 में हुए 26 अनुबंधों में से 22 बिलियन डॉलर का बड़ा हिस्सा मिला था, जब वह गौतम अडानी के साथ चीन गए थे? 2014 और 2019 के चुनाव में मोदी ने ज्यादातर सफर अडानी के विमान में किया या नहीं? क्या यह सच है या गलत कि गौतम अडानी के नेतृत्व वाली कारमाइकल माइनिंग कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए पीएम मोदी ने ऑस्ट्रेलियाई पीएम से बात की?
यह सच है या झूठ कि 2020 में जब मोदी मंगोलिया गए तो उन्होंने अडानी को वहां के प्रधानमंत्री से मिलवाया? अगर कोई भारतीय कंपनी विदेश में निवेश करती है तो उसे मदद उस देश से मिलती है न कि हमारे देश से। लेकिन क्या यह सच है या झूठ कि अडानी को कारमाइकल प्रोजेक्ट के लिए एसबीआई से 10,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिली थी? मुझे इस बात की भी चिंता है कि अगर यह एक लाभदायक उद्यम था तो वहां के स्थानीय बैंकों ने मदद क्यों नहीं की। मैं ये पांच सवाल मोदी से पूछना चाहता हूं, जो बेंगलुरु आए हैं।
बृजेश कलप्पा ने कहा- अडानी कंपनी के संबंध में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई है। इसके बाद से उनकी कंपनी के शेयर गिरते रहे हैं। कंपनियों के शेयरों का बढ़ना और गिरना तो आम बात है। लेकिन आपको उस कंपनी में सरकारी पैसा लगाने और कंपनी के लिए जगह बनाने की क्या जरूरत थी? एलआईसी नामक सरकारी कंपनी द्वारा अडानी कंपनी में लगभग 86,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। एसबीआई द्वारा अदानी कंपनी में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। कर्नाटक का स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (एसबीएम) का 2017 में एसबीआई के साथ विलय कर दिया गया था। यानी कन्नडिगाओं का पैसा एसबीआई में था, जो आज अडानी कंपनी में लगा हुआ है।
कलप्पा ने प्रधानमंत्री के लगातार कर्नाटक दौरे पर भी निशाना साधा जहां कुछ ही महीनों में चुनाव होने वाले हैं। बृजेश कलप्पा ने कहा- पीएम मोदी इस महीने तीसरी बार बेंगलुरु आए हैं। मोदी तब नहीं आए जब उन्हें आने के लिए कहा गया था जब गड्ढों के कारण 50 लोगों की मौत हो गई थी। कावेरी और मेकेदातु में पीने का पानी नहीं होने की बात कहने पर भी वह नहीं आए। वह तब भी नहीं आए जब कर्नाटक ने कृष्णा नदी के मुद्दे पर अंतिम अधिसूचना के लिए भीख मांगी थी।
वह तब भी नहीं आए जब कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद चल रहा था, और न ही वह महादयी मुद्दे पर आए थे। यहां तक कि जब बेलगावी मुद्दे पर कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद के समय भी वन नहीं आए और यहां तक कि बीजेपी के 26 सांसद हैं वो भी नहीं आए थे। लेकिन मोदी तो चुनाव के दौरान ही मौजूद होते हैं। तो प्रधानमंत्री इसका जवाब दें। वर्ना यह ग्लोकल नहीं है। हमें इस निष्कर्ष पर पहुंचना होगा कि यह कर्नाटक के लोगों का गोत्र है।
(आईएएनएस)
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