मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस बयान से टूट सकता है पायलट सपना, एक बार फिर बढ़ सकती है दोनों नेताओं के बीच तकरार
गहलोत-पायलट विवाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस बयान से टूट सकता है पायलट सपना, एक बार फिर बढ़ सकती है दोनों नेताओं के बीच तकरार
डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान में सियासी घामासान मचा हुआ है। आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही प्रदेश में सरकार बनाने के लिए अपने-अपने दावेदारी पेश कर रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस अपनी अंदर की कलह से जूझ रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच तनातनी किसी से छिपी नहीं है। अब एक बार फिर सचिन पायलट की टेंशन बढ़ सकती है क्योंकि सीएम अशोक गहलोत ने एक ऐसी बात कह दी है कि सचिन की सियासी पारी और राजस्थान में उनका मुख्यमंत्री बनने का सपना टूट सकता है।
कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा
दरअसल, एक निजी टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में सीएम अशोक गहलोत ने अपने राजनीतिक सफर के बारे में बात की। इंटरव्यू के दौरान जब उनसे राजनीति से रिटायरमेंट को लेकर सवाल पूछा गया तो गहलोत ने साफ कहा कि, 'मेरा अभी राजनीति से सन्यास लेने का कोई इरादा नहीं है। मैं जब तक जीवित रहूंगा तब तक राजस्थान की सियासत में सक्रिय रहूंगा।' उन्होंने आगे कहा कि, 'मैं करीब 50 सालों से राजनीति में हूं। मैं देश की राजनीति में महज 20 सालों की उम्र से ही सक्रिय हो गया था। तब से लेकर अब तक मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।'
भरोसा करके सीएम बनाया
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि 'पार्टी हाईकमान ने मुझ पर भरोसा करके राजस्थान का सीएम बनाया, जो कुछ सोचकर ही किया होगा।' सीएम गहलोत के इस बयान के बाद से ही सचिन पायलट को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। दोनों कांग्रेसी नेताओं में सीएम पद के लिए खटपट होती रहती हैं। हालांकि, पहले ऐसा माना जा रहा था कि अशोक गहलोत का राजस्थान की सियासत में बतौर मुख्यमंत्री आखिरी पारी होगी। लेकिन गहलोत के इस बयान के बाद से राजनीतिक हलकों में राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट की जिम्मेदारी क्या होगी अब इसे लेकर बात होनी शुरू हो गई हैं।
सचिन पायलट का क्या होगा?
दरअसल, साल 2020 में सचिन पायलट ने सीएम पद पाने के लिए अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी थी। इस दौरान समर्थक विधायकों के साथ मिलकर पायलट ने गहलोत को सीएम पद से हटाने की भरपूर कोशिश की थी। हालांकि वो अपनी इस कोशिश नाकाम रहे थे। बता दें कि, राजस्थान कांग्रेस में दो गुट हैं। पहला गुट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का है जिसमें उनके साथ 80 विधायक हैं जबकि दूसरा गुट पायलट का है जिनके समर्थन में 20 विधायक हैं, जो कि गहलोत गुट की तुलना में बेहद कम हैं। पायलट समर्थक विधायक हमेशा से सचिन पायलट को राजस्थान के सीएम बनाने की मांग करते रहे हैं। वहीं गहलोत गुट के विधायकों ने हमेशा इसका विरोध किया है।
एक बार फिर गरमाया बगावत का मुद्दा
मुख्यमंत्री के रिटायरमेंट वाले जवाब पर एक बार फिर प्रदेश की सियासत में हलचल बढ़ गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीएम गहलोत के इस बयान के बाद सचिन पायलट का रिएक्शन आना लाजमी है, क्योंकि पायलट उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं जब पार्टी आलाकमान उन्हें सीएम पद के उम्मीदवार के रूप में हरी झंडी दिखाता है।