लोकसभा चुनाव 2024: 6 सीटों पर एनडीए में फंसा पेंच, तीन दौर की बातचीत के बाद भी नहीं बनी सहमति, क्या टूट जाएगा गठबंधन?

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-01 14:24 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। 19 अप्रैल से शुरू होने वाले इस महामुकाबले के लिए सभी दल ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। सीट शेयरिंग से लेकर कैंडिडेट के चयन तक सभी रणनीतियों पर सोच विचार किया जा रहा है। इस बीच महाराष्ट्र में एनडीए गठबंधन में सीट के बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है। कहा जा रहा है कि राज्य की गठबंधन वाली सरकार में शामिल बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच 6 लोकसभा सीटों पर तमाम कोशिशों के बाद भी अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है।

सूत्रों के मुताबिक इस समस्या का हल निकालने के लिए राज्य के सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के बीच तीन दौर की बैठक भी हो चुकी है। लेकिन हर बार यह बेनतीजा रही। दोनों ही पार्टियां ठाणे, पालघर, रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग, नासिक, संभाजीनगर और धाराशिव लोकसभा सीटों पर अपनी जीत की संभावना दावा कर रही हैं। मौजूदा समय में इन सीटों में से ठाणे पर शिवसेना (उद्धव गुट) का, पालघर पर शिवसेना ( शिंदे गुट), रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग पर शिवसेना (उद्धव गुट) का, नासिक पर शिवसेना ( शिंदे गुट) का, धाराशिव पर शिवसेना (उद्धव गुट) का और संभाजीनगर पर ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का कब्जा है। बीजेपी और शिंदे गुट इन सीटों पर अपना दावा ठोक रहे हैं। दोनों दल की ओर से इन सीटों पर चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने की बात कही जा रही है।

उधर, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में पार्टी सूत्रों के हवाले से बताया गया कि अब इस समस्या का समाधान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद ही निकलेगा। बीते दिनों हुई बैठक के बाद एकनाथ शिंदे और फडणवीस की ओर से इसको लेकर संकेत भी दिया गया था।

ठाणे सीट छोड़ने को तैयार नहीं सीएम शिंदे!

इस सभी सीटों में सबसे ज्यादा हाईप्रोफाइल सीट सीएम शिंदे का गृह क्षेत्र ठाणे की सीट है। शिंदे गुट इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल मानकर छोड़ने को तैयार नहीं है। वहीं बीजेपी का तर्क है कि शिवसेना के विभाजन के बाद इस सीट से मौजूदा सांसद उद्धव गुट के राजन विचारे को कड़ी टक्कर देने के लिए शिंदे गुट के पास कोई ताकतवर उम्मीदवार नहीं है। वहीं बात करें रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग सीट की तो इस सीट को लेकर बीजेपी और शिंदे गुट के बीच रस्साकशी जारी है। जहां सीएम शिंदे इस सीट पर अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री उदय सामंत या उनके भाई किरण सामंत को उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। वहीं बीजेपी के सीनियर लीडर नारायण राणे खुद इस सीट से चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं।

पालघर और संभाजीनगर को लेकर भी गतिरोध

लंबे समय से पालघर में आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों के जमीनी काम और लोगों के बीच अपनी साल-दर-साल बढ़ती उपस्थिति के चलते बीजेपी इस सीट से अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। इसके अलावा पार्टी को इस क्षेत्र में अपना अच्छा खासा प्रभाव रखने वाली बहुजन विकास अघाड़ी से भी सपोर्ट की उम्मीद है। बात करें संभाजीनगर लोकसभा सीट की तो यहां से शिंदे गुट मराठा आरक्षण आंदोलन से जुड़े विनोद पाटिल को टिकट देने पर विचार कर रहा है। वहीं बीजेपी पालघर जैसे इस सीट पर भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। दरअसल, यहां बीजेपी विपक्षी पार्टियों में चल रही गुटबाजी का फायदा उठाना चाहती है। यहां से पार्टी केंद्रीय मंत्री भागवत कराड को अपना उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है।

नासिक सीट पर कहां फंसा पेंच?

एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर सबसे बड़ा पेंच नासिक लोकसभा सीट पर फंसा है। दरअसल, यहां से बीजेपी और शिंदे गुट के अलावा एनसीपी (अजीत गुट) ने भी अपना उम्मीदवार उतारने की बात की है। जिससे सीट शेयरिंग का मामला और उलझ गया है। अजीत गुट के नेता छगन भुजबल यहां से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं। उधर, नासिक से मौजूदा सांसद हेमंत गोडसे (शिंदे गुट) ने बिना सीट शेयरिंग के ही अपना चुनाव अभियान शुरू कर दिया है।

इस उम्मीदवार पर दांव लगाने की तैयारी में बीजेपी

बात करें धाराशिव लोकसभा सीट की तो यहां से वर्तमान सांसद ओमराजे निंबालकर को उद्धव गुट ने पहले से ही अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। वहीं उनको टक्कर देने के लिए बीजेपी यहां से मौजूदा विधायक व पूर्व मंत्री राणा पाटिल को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। उधर, शिंदे गुट को यहां से कोई ऐसा ताकतवर उम्मीदवार भी नहीं मिल रहा जो निंबालकर को कड़ी टक्कर दे सके। वहीं कहा यह भी जा रहा है कि यहां से अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने भी अपने उम्मीदवार को उतारने की तैयारी शुरू कर ली है। पार्टी के द्वारा यहां अपने तीन संभावित नामों का भी चयन कर लिया गया है।

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