मध्य प्रदेश चुनाव 2023: सागर की आठों विधानसभा सीटों पर नए इतिहास का गणित, कहीं लगातार 9वीं जीत का इंतजार तो कहीं हैट्रिक पर हार का डर

  • आज मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव
  • 3 दिसंबर को आएंगे नतीजे

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-16 18:46 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश के सागर जिले की आठों विधानसभा सीटों पर इस बार नए इतिहास का गणित है। चार सीटें देवरी, सुरखी, खुरई और बीना ऐसी हैं जहां अब तक कोई भी विधायक जीत की हैट्रिक नहीं बना सका। इन चारों सीटों पर लगातार दो बार से चुनाव जीतते आ रहे विधायक एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। इन चारों को ही इन सीटों का पिछला इतिहास और उसमें छिपी हार, ज्यादा डरा रही है। वहीं रहली के भाजपा प्रत्याशी गोपाल भार्गव को अपनी लगातार 9वीं जीत का इंतजार है। इसी तरह से बंडा सीट पर पहली बार ऐसा हो रहा है जबकि कांग्रेस और भाजपा के अलावा किसी तीसरे दल ने प्रत्याशी उतारा हो। अब 3 दिसंबर को पता चलेगा कि जिले में किस सीट पर इतिहास दोहराया गया है, बदला है या फिर जीत-हार की नई इबारत लिखी गई।

सागर : यहां दोनों ही दल भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशी नया इतिहास बनाने की जुगत में लगे हैं। यहां चुनावी मुकाबला जेठ (भाजपा के शैलेंद्र जैन) और बहू (कांग्रेस की निधि जैन) के बीच है। शैलेंद्र जैन तीन बार से लगातार चुनाव जीत रहे हैं। यदि वे चौथी बार जीत हासिल करते हैं तो इस सीट से लगातार 4 बार जीत हासिल करने वाले वे पहले विधायक होंगे। वहीं कांग्रेस की प्रत्याशी निधि जैन इस सीट से कांग्रेस की पहली महिला विधायक बनने के प्रयास में हैं। इनका यह पहला विधानसभा चुनाव है। इतना ही नहीं निधि की जीत से इस सीट पर कांग्रेस का 30 साल का सूखा खत्म होगा।

रहली : मंत्री गोपाल भार्गव यहां 1985 से लगातार 8 चुनाव जीत चुके हैं। इस बार इनके सामने कांग्रेस की ज्योति पटेल हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर पहली बार महिला प्रत्याशी को टिकट दिया है। यदि ज्योति को जीत हासिल हुई तो वे रहली की पहली महिला विधायक बनेंगीं और 38 साल बाद कांग्रेस को यहां जीत हासिल होगी। वहीं गोपाल भार्गव अपनी 9वीं जीत का इतिहास रचने के मुकाम पर हैं।

खुरई : यहां जीत की पहली हैट्रिक के मुकाम पर खड़े मंत्री भूपेंद्र सिंह का मुकाबला कांग्रेस की प्रत्याशी रक्षा राजपूत से है। भूपेन्द्र जीत का चौका लगाने जहां अपना सब कुछ झोंके हुए हैं वहीं रक्षा 38 साल बाद इस सीट पर किसी महिला प्रत्याशी द्वारा जीत हासिल करने का कीर्तिमान बनाने प्रयासरत हैं।1985 में इस सीट पर जीत हासिल करने वाली कांग्रेस की डॉ. मालती मौर्य को जिले की पहली महिला विधायक होने का गौरव हासिल है।

देवरी : इस सीट पर अब तक किसी भी विधायक ने जीत की हैट्रिक नहीं लगाई है। लगातार दो बार से जीत रहे कांग्रेस के हर्ष यादव के पास इस बार यह मौका है। इस बार उनका मुकाबला क्षेत्र के कद्दावर नेता और पूर्व विधायक बृजबिहारी पटैरिया से हैं, जो हर्ष के सपने को पूरा करने में अड़ंगा लगा सकते हैं।

सुरखी : इस सीट परं अब तक कोई भी प्रत्याशी दो से अधिक चुनाव नहीं जीत सका है। यहां हैट्रिक लगाने से भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत दोनों ही चूके हैं। 2013 में हार का सामना करने के बाद 2018 में गोविंद को फिर से जीत हासिल हुई, इसके बाद 2020 में उपचुनाव भी जीते। इस बार उनके पास जीत की हैट्रिक लगा कर इतिहास बदलने का मौका है, लेकिन इस सीट का इतिहास दोहराने कांग्रेस प्रत्याशी (भाजपा के बागी) नीरज शर्मा उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

बीना : यहां मुकाबला दो बार से चुनाव जीत रहे भाजपा के महेश राय और कांग्रेस की निर्मला सप्रे के बीच है। दोनों दूसरी बार एक-दूसरे के सामने हैं। इस सीट पर सर्वाधिक 3 बार

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