बवाल हिंसा के बीच मणिपुर में 21 अगस्त से शुरू होगा विधानसभा सत्र

  • मणिपुर में 60 विधायक
  • 40 विधायक मैतई और बाकी 20 नागा और कुकी
  • सामाजिक और राजनीति रूप से प्रभाव मैतई समाज

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-05 04:35 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मणिपुर में विधानसभा सत्र 21 अगस्त से शुरू हो सकता है। राज्य मंत्रिमंडल ने मणिपुर राज्यपाल से इसकी सिफारिश की है। मणिपुर सरकार ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए जानकारी दी, बीते तीन महीने से मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है। सैकड़ों लोगों की मौत हो गई, कई घर बेघर हो गए। 

आपको बता दें शुरू होने वाले सत्र में ये तय माना जा रहा है कि राज्य में हुई हिंसा को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर होगा। न केवल विपक्ष यहां मैतई और कुकी समुदाय के विधायकों में आपसी तकरार देखने को मिल सकती है। राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिहाज से देखे तो मणिपुर के कुल 60 विधायकों में 40 विधायक मैतई और बाकी 20 नागा और कुकी जनजाति से आते हैं। अब तक हुए 12 मुख्यमंत्रियों में से दो ही जनजाति से थे।

 भले ही मणिपुर हिंसा की आग से उबरने की कोशिश कर रहा है, सरकार के प्रयास के बाद भी स्थिति पूरी तरह सामान्य होने में समय लगेगा। लेकिन दो समुदायों के बीच पैदा हुआ मनमुटाव सामाजिक और राजनीतिक रूप से हमेशा सुलगता रहेगा। तकरार की इस खाई को भरने में समय लगेगा।

मैतई समुदाय अनुसूचित जनजाति में शामिल होने की मांग कर रहा है, जिसका नागा और कुकी समुदाय विरोध कर रहे  है। खबरों के मुताबिक दोनों जनजातियों का कहना है कि मैतई समुदाय आदिवासी नहीं है,इनकी जनसंख्या ज्यादा है, राजनीति में भी उनका दबदबा है। मैतई समुदाय को पहले से ही एससी ,ओबीसी आरक्षण के साथ-साथ ईडब्ल्यूएस आरक्षण मिला हुआ है, जिसका लाभ इन्हें मिल रहा है। उनकी भाषा भी संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल है और संरक्षित है।  स्वाभाविक रूप से अगर मैतई समुदाय को एसटी आरक्षण मिलता है, तो हांसिए पर चल रही जनजातियाों को नौकरी और कॉलेजों में जाने मौके कम हो जाएंगे। फिर मैतई समुदाय को भी पहाड़ों पर भी जमीन खरीदने की अनुमति मिल जाएगी। जिससे जनजातियों के इलाके में दखलांदाजी बढ़ने से जनजातियां फिर हाशिये पर चली जाएंगी।

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