Maharashtra politics: 'दादा को सुबह-शपथ शपथ लेने का अनुभव', अजित पवार के बयान पर शिंदे की चुटकी, जोर-जोर से लगने लगे ठहाके
- महायुति 2.0 सरकार के गठन का रास्ता हुआ साफ
- महायुति गठबंधन ने पेश किया सरकार बनाने का दावा
- अजित पवार, शिंदे और फडणवीस ने की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र में कल महायुति की नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह है। इससे एक दिन पहले बुधवार को महाराष्ट्र में सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने बुधवार को साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान अजित पवार को लेकर एकनाथ शिंदे ने कुछ ऐसा कहा, जिस पर वहां मौजूद सभी लोग हंसने लगे।
दरअसल, प्रेस कॉन्फ्रेंस में रिपोर्टर ने सवाल किया कि क्या अजित पवार और एकनाथ शिंदे भी कल डिप्टी सीएम पद की शपथ लेंगे। इस पर शिंदे ने जवाब दिया, 'अरे अभी तो फडणवीस ने बताया, मैंने बताया, कि शाम तक रुको तब बताता हूं।' इसके बाद शिंदे के बीच में बोलते हुए अजित पवार ने कहा, 'शिंदे का शाम तक पता चलेगा, मैं तो लेने वाला हूं कल शपथ।'
इस पर शिंदे ने कहा, 'दादा (अजित) को अनुभव है, शाम को भी लेने का (शपथ) और सुबह भी लेने का।' इस पर शिंदे, फडणवीस और अजित के साथ वहां मौजूद सभी लोग जोर-जोर से ठहाके लगने लगे।
शिंदे ने 5 साल पुरानी घटना का किया था जिक्र
दरअसल, शिंदे पांच साल पहले की घटना का जिक्र कर रहे थे। साल 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में किसी भी दल ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया था, जिसकी वजह से राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया था। शिवसेना के मुख्यमंत्री पद की मांग को लेकर बीजेपी से गठबंधन भी तोड़ लिया था।
तब देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार के साथ सरकार बनाने का दावा पेश कर सुबह-सुबह 8 बजे सीएम और डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली थी। यह घटनाक्रम सबके लिए चौंकाने वाला था, इसकी वजह यह थी कि शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था। लेकिन इनके बीच सीएम पद को लेकर सहमति नहीं बन पा रही थी।
इस बीच अजित पवार (एनसीपी) ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला किया और डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली थी। अजित का दावा था कि उनके साथ एनसीपी के 54 विधायकों का समर्थन है। हालांकि बाद में सामने पता चला कि उनके पास केवल दो या तीन विधायकों का सपोर्ट ही है।
एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने भी अजित के इस फैसले का समर्थन नहीं किया था। उन्होंने अजित पर पार्टी तोड़ने का आरोप लगाया था। अपने पास सरकार बनाने के लिए जरुरी संख्याबल न होने की वजह से तीन दिन पहले ही अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद शिवसेना से उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने थे।