विधान सभा चुनाव से पहले मप्र में नेताओं के दौरे तेज

  • चुनाव भाजपा और कांग्रेस के लिए आसान नजर नहीं आ रहा
  • भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीते समय में कई दौरे हो चुके हैं
  • प्रियंका गांधी ग्वालियर चंबल के दौरे पर 21 जुलाई को आ रही हैं

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-20 07:42 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस के प्रमुख नेताओं के दौरे तेज हो गए हैं। दोनों ही पार्टियों के स्टार प्रचारकों ने मोर्चा संभाल लिया है और वे चुनाव में जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने में जुट गए हैं।

राज्य में इसी साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है। यह चुनाव भाजपा और कांग्रेस के लिए आसान नजर नहीं आ रहा। यही कारण है कि राज्य इकाइयों के साथ-साथ केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य में अपना दखल बढ़ा दिया है।

चुनाव में किन मुद्दों पर जोर दिया जाए, किन नेताओं को जिम्मेदारी व जवाबदेही सौंपी जाए, साथ ही किस रणनीति पर आगे बढ़ा जाए, यह तय करने का सारा दारोमदार केंद्रीय नेतृत्व पर है।

वैसे तो राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीते समय में कई दौरे हो चुके हैं, वहीं कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी महाकौशल का दौरा कर चुकी हैं, आने वाले दिनों में दोनों ही दलों के तमाम बड़े नेताओं के मध्य प्रदेश दौरे प्रस्तावित हैं।

कांग्रेस के प्रमुख नेताओं के दौरों पर गौर करें तो प्रियंका गांधी ग्वालियर चंबल के दौरे पर 21 जुलाई को आ रही हैं, उनकी ग्वालियर में जनसभा होने वाली है। इसी तरह आठ अगस्त को राहुल गांधी शहडोल के ब्यौहारी आएंगे।

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का सागर प्रवास है। एक तरफ जहां कांग्रेस अपनी तैयारियों में जुटी है और नेताओं के दौरे हो रहे हैं तो वही सत्ताधारी दल भाजपा ने अपनी तैयारियां तेज कर रखी हैं। पार्टी ने चुनाव के लिए प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र यादव को बनाया है और सह प्रभारी अश्वनी वैष्णव को, इतना ही नहीं प्रबंधन समिति का संयोजक केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को बनाया गया है।

इसी बीच राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 22 जुलाई को और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 23 जुलाई को प्रदेश के प्रवास पर आने वाले हैं। कुल मिलाकर दोनों राजनीतिक दलों के केंद्रीय नेतृत्व के बढ़ते दखल ने यह संकेत और संदेश तो दे ही दिया है कि विधानसभा चुनाव की कमान पूरी तरह केंद्रीय नेतृत्व के हाथ में रहने वाली है। राज्य के नेता पूरी तरह केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर ही काम करेंगे और चुनावी रणनीति का निर्धारण भी केंद्रीय नेतृत्व के जरिए किया जाएगा।

(आईएएनएस)

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