जम्मू-कश्मीर सियासत: पूर्ण राज्य बनाने के प्रस्ताव को उपराज्यपाल की मंजूरी, पीएम मोदी को ड्राफ्ट सौंपेगे सीएम उमर अब्दुल्ला
- जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के प्रस्ताव को एलजी की मिली मंजूरी
- गुरुवार को उमर कैबिनेट में सर्वसम्मति से पास हुआ था प्रस्ताव
- केंद्र सरकार लेगी अंतिम निर्णय
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के प्रस्ताव को उपराज्यपाल की मंजूरी मिल गई है। इसके लिए गुरुवार को हुई उमर अब्दुल्ला कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को सर्वसम्मिति से पारित किया गया था। इसमें कहा गया कि पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने से जम्मू-कश्मीर के लोगों के उनके संवैधानिक अधिकार फिर से मिलेंगे। अब सीएम उमर अब्दुल्ला दो दिन में दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात कर उन्हें प्रस्ताव का ड्राफ्ट सौंपेंगे।
वहीं कैबिनेट से प्रस्ताव पास होने के बाद डिप्टी सीएम सुरिंदर कुमार चौधरी ने कहा कि केंद्र को अपना वादा पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर का दर्जा बहाल होना चाहिए, यह हमारा अधिकार है। हम वही मांग रहे हैं जो जिसका उन्होंने पहले ही वादा किया था।
चुनाव के दौरान किया था वादा
उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा चुनाव के दौरान कहा था कि उनकी सरकार बनने पर कैबिनेट की पहली बैठक में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के प्रस्ताव पास किया जाएगा। उन्होंने सीएम पद की शपथ के एक दिन बाद ही उन्होंने प्रस्ताव पास किया।
बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के साथ ही प्रदेश का पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म कर उसे दो यूनियन टेरिटरी (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। अब गेंद केंद्र के पाले में है क्योंकि अब इसे दोबारा पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 नियम में संशोधन करना पड़ेगा। लोकसभा और राज्यसभा में इसे पास कराना होगा। इसके बाद राष्ट्रपति के पास से अंतिम मुहर लगवानी होगी।
PDP नाखुश
वहीं, उमर कैबिनेट के इस फैसले को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने अपने लिए बड़ा झटका बताया। पार्टी की ओर से कहा गया कि उमर सरकार ने स्टेटहुड बहाली का प्रस्ताव क्यों पारित किया? उन्हें 370 की बहाली पर भी फैसला करना चाहिए था।
PDP के विधायक वहीद पर्रा ने कहा, 'उमर अब्दुल्ला का राज्य के दर्जे पर प्रस्ताव पारित करना 5 अगस्त, 2019 के केंद्र के फैसले का समर्थन करने से कम नहीं है। उमर ने 370 को बहाल करने के वादे पर ही वोट मांगे थे।'