भास्कर हिंदी एक्सक्लूसिव: भारत के लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा इजरायल-हमास युद्ध का असर, किस देश का साथ देकर घाटे में जा सकती है कांग्रेस, मुद्दा भुनाने की तैयारी में बीजेपी?
- फिलिस्तीन पर बदला कांग्रेस का रुख?
- बीजेपी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जंग इजराइल और फिलिस्तीन के बीच छिड़ी है, लेकिन इसका सियासी असर भारत पर भी पड़ने के आसार हैं। ये ऐसा मुद्दा है जो आने वाले चुनाव में भारत की राजनीतिक बिसात को उलट पलट कर सकता है। इजराइल और फिलिस्तीन दोनों एक दूसरे पर तोप और मिसाइल से हमला कर रहे हैं। इस हमले में अब तक हजार लोगों की जान जा चुकी है लेकिन कोई भी पीछे हटने का नाम नहीं ले रहा है। 7 अक्टूबर की सुबह हमास के लड़ाकों ने गाजा पट्टी से इजराइल पर सुबह-सुबह ही रॉकेट छोड़ने शुरू कर दिए। करीब 20 मिनट के दौरान हमास ने इजराइल पर लगभग 5 हजार रॉकेट्स से हमला बोला था। जिसकी वजह से सैंकड़ों लोगों की मौत और हजारों की तादाद में लोग घायल हुए हैं। इस मुद्दे पर फिलहाल कांग्रेस खामोश है। जबकि हमेशा से कांग्रेस ने इजराइल और फिलिस्तीन के बीच अधिकांशतः फिलिस्तीन को ही तवज्जो दी है। लेकिन इस बार कांग्रेस का रुख बदला बदला है। हाल ही में पीएम मोदी ने हमास द्वारा इजराइल पर हुए हमलों को आतंकवाद से जोड़ते हुए इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू का समर्थन किया।
कांग्रेस का क्या है स्टैंड?
भारत में कुछ ही दिनों के बाद पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। कांग्रेस को लगता है कि अगर, इजराइल को छोड़ फिलिस्तीन का सपोर्ट करते हैं तो बीजेपी इसे लपक, चुनावी मुद्दा बना सकती है जो कांग्रेस के लिए ठीक नहीं होगा। इसी को देखते हुए कांग्रेस पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने इजराइल और फिलिस्तीन से शांति बनाए रखने की अपील की। बिना किसी का पक्ष लिए हुए रमेश ने इजराइल-फिलिस्तीन विवाद पर कहा,"कांग्रेस का हमेशा यह मानना रहा है कि फिलिस्तीन के लोगों की वैध आकांक्षाएं बातचीत के माध्यम से अवश्य ही पूरी की जानी चाहिए, वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी इजराइली चिंताओं का भी समाधान सुनिश्चित किया जाना चाहिए।" कांग्रेस के सधे हुए बयान से ठीक उलट पीएम मोदी का बयान इजराइल-हमास को लेकर आया है। पीएम मोदी ने कहा कि, आतंक के खिलाफ भारत हमेशा से रहा है इजराइल पर हुए आतंकी हमले में मारे गए लोगों के प्रति भारत संवेदना जातता है, भारत इजरायलियों के साथ है।
कांग्रेस से बीजेपी के सवाल
कांग्रेस के संतुलित बयान से कई सियासी सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि साल 2021 में कांग्रेस पार्टी ने भारत सरकार के स्टैंड की अलोचना की थी। कुछ दिन पहले ही कांग्रेस ने बीजेपी सरकार की आलोचना करते हुए उस पर फिलिस्तीन के साथ पहले किए गए कमिटमेंट से हटने और अपना समर्थन पूरी तरह से इजरायल को देने का आरोप लगाया था। साल 2021 में भी फिलिस्तीन और इजराइल एक दूसरे के सामने आ खड़े हुए थे तब भी भारत ने इजराइल का साथ दिया था। लेकिन उस समय कांग्रेस ने बीजेपी सरकार की आलोचना कर फिलिस्तीन का समर्थन किया था। साल 2021 से ठीक उलट कांग्रेस का इस बार का स्टैंड है। जिस पर बीजेपी ने सवाल खड़े किए है।
बीजेपी ने एक बयान जारी करते हुए कहा, इजराइल आज जो झेल रहा है, वही भारत ने 2004-14 के बीच झेला है कभी माफ मत करो, कभी मत भूलो। इसके अलावा बकायदा बीजेपी ने एक वीडियो भी जारी किया है जिसमें राहुल गांधी आतंकवाद को लेकर कहते हुए सुनाई दे रहे हैं "हर आतंकवादी हमले को रोकना बहुत मुश्किल है।"
अटल बिहारी वाजपेयी भी कर चुके हैं फिलिस्तिन का समर्थन
यह बात जानकर हैरानी होगी कि, केवल कांग्रेस ही नहीं बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी भी फिलिस्तीन का समर्थन कर चुके हैं। जब बीजेपी जनता दल थी (साल 1977) तब का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें वाजपेयी जी बोल रहे हैं "ये कहा जा रहा है कि जनता पार्टी की सरकार बन गई। वो अरबों का साथ नहीं देगी, इजराइल का साथ देगी। आदरणीय मोरारजी भाई स्थिति को स्पष्ट कर चुके हैं। गलतफहमी को दूर करने के लिए मैं कहना चाहता हूं कि हम हरेक प्रश्न को गुण और अवगुण के आधार पर देखेंगे। लेकिन मध्य पूर्व के बारे में यह स्थिति साफ है कि अरबों की जिस जमीन पर इजराइल कब्जा करके बैठा है, वो जमीन उसको खाली करनी होगी।"
आखिर कांग्रेस फिलिस्तीन का समर्थन देने से क्यों कतरा रही?
अगर पिछली सरकारों को देखें तो समय-समय पर वो अपने हिसाब से कभी इजराइल को तो कभी फिलिस्तीन का सपोर्ट करती रही है। लेकिन कांग्रेस पार्टी जो हमेशा से फिलिस्तीन को अपना समर्थन करती आ रही है उसकी मजबूरी आगामी चुनाव बना हुआ है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, कांग्रेस भलीभांति जानती है कि उसका एक गलत कदम बीजेपी को चुनाव में फायदा पहुंचा सकता है इसलिए बिना किसी का पक्ष लिए हुए इजराइल और फिलिस्तीन दोनों को युद्ध विराम करने की नसीहत दे रही है। अगर वो फिलिस्तीन का पक्ष लेती भी है तो उसे चुनाव में काफी नुकसान हो सकता है।