अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त: मध्यप्रदेश की ग्वालियर कोर्ट ने राजद नेता लालू प्रसाद यादव के खिलाफ जारी किया गिरफ्तारी वारंट
- पुलिस ने की पुष्टि- लालू कौन
- नाम को लेकर भ्रम
- लालू प्रसाद यादव का जिक्र होने से केस एमपी-एमएलए कोर्ट में गया
डिजिटल डेस्क, ग्वालियर।मध्यप्रदेश के ग्वालियर की एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने 26 साल पुराने एक मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद यादव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इस मामले में बताया जा रहा है कि हथियारों की अवैध खरीद-फरोख्त मामले में लालू 26 साल से फरार है। ग्वालियर की कोर्ट ने अवैध खरीद-फरोख्त के इस मामले में लालू प्रसाद यादव को 1998 में फरार घोषित किया था। मामले में कुल 22 आरोपी हैं। छह के खिलाफ सुनवाई चल रही है। वहीं लालू प्रसाद यादव समेत 14 फरार हैं। दो की मौत हो चुकी है।
पुलिस की ओर से दावा किया जा रहा है कि आरोपी लालू प्रसाद यादव कोई और नहीं बल्कि राजद नेता ही हैं। इसी आधार पर उन्हें आरोपी बनाया और गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। पुलिस ने काफी खोजबीन के बाद ही लालू प्रसाद यादव को आरोपी बनाया और यह केस अन्य कोर्ट से एमपी-एमएलए की विशेष अदालत में पुहंचा। अब अदालत की ओर से लालू प्रसाद यादव के खिलाफ स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी कर तलब किया जा रहा है।
आपको बता दें उत्तरप्रदेश की फर्म के संचालक राजकुमार शर्मा पर आरोप है कि उसने ग्वालियर की हथियारों की तीन कंपनियों से फर्जीवाड़ा कर 1995 से 1997 के बीच हथियार और कारतूस खरीदे थे। शर्मा ने खरीदे गए हथियार और कारतूस बिहार में बेच दिए थे। जिन लोगों को यह हथियार बेचे गए, उनमें लालू प्रसाद यादव का नाम भी शामिल है। ये मामला 23 अगस्त 1995 से 15 मई 1997 के बीच का है।
नाम को लेकर भ्रम
अमर उजाला की खबर के मुताबिक इस मामले में लालू प्रसाद यादव आरोपी हैं तो लेकिन राजद नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हैं या नहीं, इसे लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई थी। कोर्ट के दस्तावेजों से इसकी पुष्टि नहीं हो रही थी। दस्तावेजों के अनुसार आरोपी लालू प्रसाद के पिता का नाम कुंद्रिका सिंह है। वहीं, राजद नेता लालू प्रसाद के पिता का नाम कुंदन राय है। लालू प्रसाद के पिता का नाम सिर्फ फरारी पंचनामे में लिखा है। पुलिस ने कोर्ट में जो चालान और फरार आरोपियों की लिस्ट पेश की है, उनमें पिता का नाम नहीं लिखा था। बाकी आरोपियों के पिता के नाम के साथ सिटी तक का उल्लेख था। हालांकि लालू प्रसाद यादव का जिक्र होने से यह केस एमपी-एमएलए कोर्ट में गया।