लोकसभा चुनाव 2024: रिटायर नौकरशाहों के समूह ने केंद्र से ‘ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम’ के तहत जारी अधिसूचना वापस लेने का आग्रह किया
- वन भूमि अधिग्रहण को आसान बनाने की सरकार की कोशिश
- जमीन के बदले धन से पर्यावरण पर गंभीर खतरा
- निजी उद्यमी वन भूमि को आसानी से प्राप्त कर लेंगे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सेवानिवृत्त नौकरशाहों के एक ग्रुप ने पत्र लिखकर केंद्र सरकार से ‘ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम’ के तहत जारी अधिसूचना को वापस लेने का अनुरोध किया है। पत्र में यह भी आरोप लगाया कि इससे उद्योगपतियों के लिए अपनी परियोजनाओं के लिये वन भूमि हासिल करना आसान हो जाएगा, जिससे ‘‘पर्यावरणीय आपदा’’ हो सकती है। उन्होंने कहा कि अगर अधिसूचना को वापस नहीं लिया गया, तो लाखों चरवाहों और उन जैसे अन्य समुदायों की आजीविका भी प्रभावित होगी।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव को लिखे पत्र में ‘कान्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप’ (सीसीजी) ने आरोप लगाया है कि जमीन के बदले जमीन की व्यवस्था के बजाय जमीन के बदले धन (ग्रीन क्रेडिट के रूप में) की पेशकश के जरिए सरकार उद्यमियों और उद्योगपतियों के लिए वन भूमि अधिग्रहण आसान बनाने की कोशिश कर रही है।
सरकारी समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा के मुताबिक पत्र में यह भी कहा गया है, ग्रीन क्रेडिट नियमों का एकमात्र उद्देश्य उपयोगकर्ता एजेंसियों के लिए वन भूमि को त्वरित, सुचारू और आसान तरीके से गैर पर्यावरणीय कार्यों के खातिर इस्तेमाल करने की अनुमति देना है। हम वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से इन खतरों पर गौर करने और ग्रीन क्रेडिट अधिसूचना को शीघ्र वापस लेने का आग्रह करते हैं।
सेवानिवृत्त 91 नौकरशाहों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि जब वन भूमि को निजी उद्यमियों द्वारा इतनी आसानी से प्राप्त किया जा सकता है, तो यह समझने के लिए बहुत अधिक कल्पना की आवश्यकता नहीं है कि वर्तमान में कानूनी रूप से वनों के रूप में वर्गीकृत भूमि की सीमा लगातार कम हो जाएगी, जब तक कि वस्तुतः कुछ भी नहीं बचेगा। ग्रीन क्रेडिट अतिक्रमणकारियों का एक नया समूह हो सकता है खनन, उद्योग और बुनियादी ढांचे जैसे वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए हमारे कुछ सबसे घने और सबसे अच्छे संरक्षित जंगलों का उपयोग करने के लिए कहे।
आपको बता दें ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम को 13 अक्टूबर 2023 को अधिसूचित किया गया था। यह एक अभिनव बाजार-आधारित व्यवस्था है, जिसे व्यक्तियों, समुदायों, निजी क्षेत्र के उद्योगों और कंपनियों जैसे विभिन्न हितधारकों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में स्वैच्छिक पर्यावरणीय कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए तैयार किया गया है।