महाआरती: महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखा पत्र
- नासिक के कालाराम मंदिर में आरती
- 22 जनवरी को आरती में भाग लेने के लिए आमंत्रित
- कालाराम मंदिर में होगी पूजा आरती
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक ही तारीख को एक ही भगवान की पूजा करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अलग अलग से आमंत्रित किया है। दरअसल 22 जनवरी को उत्तरप्रदेश के अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राम मंदिर उद्घाटन और रामलला प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन हो रहा है, जिस पर दुनियाभर के लोगों की नजर है। विश्व हिंदू परिषद और राम मंदिर ट्रस्ट ने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति को बीत दिन निमंत्रण दिया, दूसरी तरफ महाराष्ट्र के नासिक में स्थित कालाराम मंदिर में उसी तारीख 22 जनवरी को भगवान श्रीराम की आरती की जा रही है। इस आरती में भाग लेने के लिए शिवसेना यूबीटी के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है।
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर 22 जनवरी को नासिक के कालाराम मंदिर में आरती में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में उत्तरप्रदेश की अयोध्या में राममंदिर का उद्घाटन और रामलला प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को विश्व हिंदू परिषद और राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से आमंत्रित किया गया है। विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने मीडिया को बताया कि 22 जनवरी के समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को भी आमंत्रित किया गया है, लेकिन वे अपने प्रोटोकॉल के चलते नहीं आएंगे। हालांकि, वे दोनों राम मंदिर ट्रस्ट के साथ चर्चा के बाद सुविधाजनक तारीख पर अयोध्या आएंगे।
उद्धव ने अपने पत्र में प्रभू श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा की अग्रिम शुभकामनाएं दी है। उन्होंने पत्र में आगे लिखा है कि हिंदू हृदयसम्राट शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के धर्म संकल्प पूर्ती की पूर्णाहुति है। शिवसेना प्रमुख ने मंदिर के लिए कड़ा संघर्ष किया। उद्धव ने अपने पत्र में भगवान श्रीराम को राष्ट्र की अस्मिता और आस्था का प्रतीक बताया है। 22 जनवरी के पावन उपलक्ष्य पर नासिक क्षेत्र में प्रभू श्रीराम के महापूजन और महाआरती का दिव्य संकल्प लिया है। पत्र में उन्होंने अयोध्या को राम की जन्मभूमि बताया है साथ ही नासिक पंचवटी दंडकारण्य को कर्म क्षेत्र।