केंद्र के निशाने पर नेहरू: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पूर्व पीएम की नीतियों पर उठाए सवाल, बोले - 'उनके लिए भारत से पहले चीन था'

  • विदेश मंत्री ने पूर्व पीएम नेहरू पर साधा निशाना
  • 'नेहरू ने भारत को पीछे रखते हुए चीन को प्राथमिकता दी'
  • 'नेहरू ने चीन पर पटेल की चेतावनी को किया था अनसुना'

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-03 13:16 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों को अपना बताकर एक बार फिर इस विवाद को बढ़ा दिया था। इस बीच बुधवार को अहमदाबाद में हुए गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रोग्राम के दौरान भी चीन का मुद्दा उठा। जिस पर बात करते हुए भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू पर निशाना साधा। उन्होंने पूर्व पीएम की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा, "जब हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में परमानेंट सीट देने की बात उठी तब नेहरू ने भारत को पीछे रखते हुए चीन को प्राथमिकता दी।"

चाइना फर्स्ट और इंडिया सेकंड की पॉलिसी रखते थे नेहरू

एस. जयशंकर ने कहा, "उस समय नेहरू ने कहा था कि भारत इस सीट के काबिल है लेकिन पहले चीन को UNSC का स्थायी सदस्य बनना चाहिए।" उन्होंने आगे कहा, "आज हम इंडिया फर्स्ट की पॉलिसी अपना रहे हैं, लेकिन एक समय था जब भारत के प्रधानमंत्री चाइना फर्स्ट और इंडिया सेकेंड की पॉलिसी रखते थे।"

चीन पर पटेल की चेतावनी को किया था नजरंदाज

प्रोग्राम में विदेश मंत्री ने बताया कि साल 1950 में चीन के मुद्दे को लेकर नेहरू और तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल में विचार-विमर्श हुआ था। तब सरदार पटेल ने नेहरू को चेतावनी देते हुए कहा था कि आज हम दो मोर्चों (चीन-पाकिस्तान) की स्थिति का सामना कर रहे हैं जो देश के इतिहास में इससे पहले कभी नहीं हुआ। पटेल ने कहा था कि चीन के इरादे उसकी बातों से बिल्कुल भी मेल नहीं खाते हैं। भारत को उससे सावधान रहने की आवश्यकता है। लेकिन तब नेहरू ने पटेल की चेतावनी को नजरंदाज कर दिया था। उन्होंने यह कहकर पटेल की बात को नहीं माना कि कोई भी देश हिमालय की तरफ से भारत पर हमला नहीं कर सकता। यह नामुमकिन है।

इसके साथ विदेश मंत्री ने नेहरू द्वारा यूएन में कश्मीर के मुद्दे को उठाने को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा, "सरदार पटेल पाकिस्तान और कश्मीर के मामले में भी यूएन जाने के खिलाफ थे। लेकिन फिर भी यह मुद्दा यूएन में उठाया गया। इसके बाद हम पर दबाव डालकर वहां सैन्य अभ्यास करने पर रोक लगा दी गई।" बात दें कि 1 जनवरी 1948 में भारत ने पहली बार यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठाया था। तब भारत ने कहा था कि पाकिस्तानी घुसपैठिए जम्मू-कश्मीर के कुछ भागों पर कब्जा कर रहे हैं। यह कानूनी रूप से भारत का हिस्सा है। 

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