संरक्षण: विशेषाधिकार प्राप्त होने के बावजूद भी दिल्ली सीएम केजरीवाल को किया गिरफ्तार, जानिए ईडी ने किस अधिकार के तहत किया अरेस्ट?
- संवैधानिक पदों को विशेषाधिकार
- राज्यपाल और राष्ट्रपति को विशेष संरक्षण
- सिविल और क्रिमिनल मामले
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने कथित शराब घोटाला मामले में गुरुवार देर रात गिरफ्तार किया। केजरीवाल को सीएम रहते हुए गिरफ्तार किया है। ये कोई पहला मौका नहीं है जब सीएम की गिरफ्तारी हो, पहले भी कई मुख्यमंत्रियों की अपराधिक मामलों में गिरफ्तारी हो चुकी है। लेकिन इन सब में दिलचस्प बात ये रही कि इन सभी मुख्यमंत्रियों ने गिरफ्तारी से पहले अपने पद से इस्तीफा दिया था। सीएम सोरेन की गिरफ्तारी की बात की जाए तो सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद ईडी ने सोरेन को गिरफ्तार किया। मगर अरविंद केजरीवाल ऐसे पहले नेता है जो मुख्यमंत्री रहते हुए गिरफ्तार हुए हैं। आज हम आपको बताएंगे कि भारत में ऐसे दो पद है, जिन पर विराजमान व्यक्ति को कोई भी पुलिस या जांच एजेंसी गिरफ्तार नहीं कर सकती।
भारतीय संविधान केअनुच्छेद 361 के तहत देश के राष्ट्रपति और राज्यपाल को यह संरक्षण प्राप्त है कि पद पर रहते हुए उन पर किसी भी न्यायालय में मुकदमा नहीं चल सकता। यहीं नहीं कार्यकाल के दैरान उन्हें कोई भी जांच एजेंसी या पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकती। अनुच्छेद 361 के तहत यह अधिकार देश में राष्ट्रपति के साथ साथ सभी राज्य अथवा केंद्र साशित प्रदेश के राज्यपाल को भी मिला हुआ है।
राष्ट्रपति और राज्यपाल को मिला यह अधिकार क्रिमिनल और सिविल दोनों मामलों में लागू होता है। उनकी गिरफ्तारी दोनों मामलो में नहीं हो सकती है। हालांकि कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन पर कार्रवाई हो की जा सकती है।
सदन के सदस्यों को कोर्ट ऑफ सिविल प्रोसिजर की धारा 135 के तहत विशेषाधिकार मिले है, जिनमें उन्हें सिविल मामलों में गिरफ्तारी से छूट मिली हुई है। आपराधिक मामलों में ये संरक्षण प्राप्त नहीं है। हालांकि उनकी गिरफ्तारी की सूचना सदन प्रमुख को देना अनिवार्य होता है। संरक्षण प्राप्त पदों में प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य, मुख्यमंत्री, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य आते हैं। क्रिमिनल मामले के चलते ईडी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया है। धारा 135 के तहत विधानसभा या विधान परिषद के किसी सदस्य को गिरफ्तार करने के लिए अध्यक्ष या सभापति से पहले मंजूरी लेनी होती है। इसके साथ ही यह धारा 135 के तहत सत्र के 40 दिन पहले, उसके दौरान, व 40 दिन बाद किसी भी सदस्य को हिरासत में नहीं लिया जा सकता है।