लोकसभा चुनाव 2024: चीन को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशाना, कहा चीन पर पीएम की प्रतिक्रिया कमजोर

  • आतंकवाद को संवैधानिक प्रावधान से क्यों जोड़ा ?
  • द्विपक्षीय संवादों में असामान्यता को पीछे छोड़ा
  • सीमाओं की रक्षा करना हमारा सर्वोच्च बलिदान

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-11 09:31 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस ने सीमा उल्लंघन को लेकर चीन को ‘निष्प्रभावी और कमजोर’ प्रतिक्रिया देने के लिए बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते हुए मांग की कि वह अपने जून 2020 के उस बयान के लिए 140 करोड़ भारतीयों से माफी मांगें जिसमें उन्होंने दावा किया था कि न तो किसी ने भारत में प्रवेश किया और न ही किसी चौकी पर कब्ज़ा किया गया है।

प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह चीन को क्लीन चिट दे चुके हैं। अब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी है! उन्होंने कहा है कि अनुच्छेद 370 "आतंकवाद का मूल कारण" था। ऐसे में सवाल उठता है कि लश्कर-ए-तैयबा, आईएसआई, जैश-ए-मोहम्मद या किसी अन्य आतंकवादी संगठन के बारे में क्या? आतंकवाद को उस घरेलू संवैधानिक प्रावधान से क्यों जोड़ा जाए, जिसे तब पेश किया गया था जब सरदार पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और यहां तक कि डॉ. अंबेडकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में थे? आतंकवाद के सीमा पार के संरक्षकों और प्रायोजकों को क्लीन चिट क्यों?

भाजपा के ढुलमुल स्टैंड के विपरीत, कांग्रेस का सीमा पार के आतंकवाद के पाकिस्तानी स्पॉन्सरशिप (प्रकट और गुप्त दोनों) से उत्पन्न ख़तरे को लेकर स्पष्ट दृष्टिकोण है। जैसा कि कांग्रेस की न्याय यात्रा में कहा गया है, हम पाकिस्तान को ऐसी कोई क्लीन चिट नहीं देंगे - "पाकिस्तान के साथ हमारा इंगेजमेंट मूल रूप से सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने की उसकी इच्छा और क्षमता पर निर्भर करता है।

पीटीआई भाषा के मुताबिक कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि न्यूजवीक पत्रिका को दिए गए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया बेहद कायरतापूर्ण है। सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि भारतीय संप्रभुता का चीन द्वारा बार-बार उल्लंघन किए जाने पर प्रधानमंत्री की एकमात्र टिप्पणी यह थी कि भारत-चीन सीमा स्थिति पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है ताकि द्विपक्षीय संवादों में ‘‘असामान्यता’’ को दूर किया जा सके। रमेश ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के पास चीन को एक शक्तिशाली संदेश भेजने का अवसर था। लेकिन उनकी निष्प्रभावी और कमजोर प्रतिक्रिया से भारतीय क्षेत्र पर अपना दावा जताने के लिए चीन का हौसला और बढ़ सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘चीन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया न केवल अपमानजनक है बल्कि यह हमारे शहीदों का भी अपमान है जिन्होंने हमारे देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।’’

रमेश ने कहा ‘‘प्रधानमंत्री को 19 जून, 2020 को राष्ट्रीय टेलीविजन पर ‘ना कोई घुसा है, ना ही कोई घुस आया है’ बयान देकर 140 करोड़ भारतीयों को धोखा देने और चीन से लगती हमारी सीमाओं की रक्षा करने में अपनी विफलताओं के बारे में देश को अंधेरे में रखने के लिए माफी मांगनी चाहिए। न्यूज़वीक पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत और चीन के बीच स्थिर और शांतिपूर्ण संबंध पूरे क्षेत्र और दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सकारात्मक और रचनात्मक द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से राजनयिक और सैन्य स्तर पर, दोनों देश अपनी सीमाओं पर शांति बहाल करने और बनाए रखने में सक्षम होंगे।

भाषा ने न्यूयॉर्क स्थित पत्रिका के हवाले से कहा कि भारत का ‘‘तेजी से आगे बढ़ता आर्थिक विकास और बढ़ती राजनयिक, वैज्ञानिक और सैन्य ताकत इसे अमेरिका और दुनिया के लिए लगातार बढ़ते महत्व वाली एक उभरती हुई महाशक्ति बनाता है। पत्रिका में ‘‘नरेन्द्र मोदी और भारत का अजेय उदय’’ शीर्षक के तहत दिए गए साक्षात्कार में, प्रधानमंत्री ने आगामी लोकसभा चुनाव, पाकिस्तान के साथ रिश्ते, क्वाड, राम मंदिर और लोकतंत्र सहित विभिन्न मुद्दों पर बात की।

सरकारी समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा के मुताबिक प्रधानमंत्री का यह साक्षात्कार हाल-फिलहाल में किसी अमेरिकी पत्रिका को दिया गया पहला साक्षात्कार है। इसमें मोदी ने कहा कि भारत के लिए, चीन के साथ संबंध महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय हैं। उन्होंने कहा ‘‘मेरा यह मानना ​​है कि हमें अपनी सीमाओं पर लंबे समय से चली आ रही स्थिति के तत्काल समाधान की आवश्यकता है ताकि हमारे द्विपक्षीय संवादों में असामान्यता को पीछे छोड़ा जा सके। भारत और चीन के बीच स्थिर और शांतिपूर्ण संबंध न केवल हमारे दोनों देशों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र एवं दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं। मोदी ने कहा था मुझे आशा और विश्वास है कि राजनयिक और सैन्य स्तरों पर सकारात्मक और रचनात्मक द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से, हम अपनी सीमाओं पर शांति और स्थिरता बहाल करने और बनाए रखने में सक्षम होंगे।

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