केंद्र सरकार पर निशाना: चीनी सैनिकों और चरवाहों की भिड़त वाले वीडियो क्लीप पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर किया हमला

  • चीनी सैनिकों और चरवाहों की भीडंत का वीडियो क्लीप हुई वायरल
  • कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर बोला हमला
  • सरकार की चुप्पी पर उठाए सवाल

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-02 18:24 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के वर्षिठ नेता और सांसद जयराम रमेश ने चीनी सैनिकों और चरवाहों की भिड़त वाली वीडियो क्लीप पर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि वीडियो में स्पष्ट तौर पर भारत की सीमा पर कैसे चीनी सैनिक लद्दाख के चरवाहों से भीड़ रहे हैं। ऐसे में हैरानी करने वाली बात यह है कि भारत सरकार ने इस पर कोई एक्शन कैसे नहीं लिया। शुक्रवार को जयराम रमेश ने मीडिया से बातचीत में कहा, "हाल ही में चुशुल सेक्टर में जाने से चरवाहों को रोकने और उन्हें परेशान करते हुए चीनी सैनिकों का वीडियो सामने आया था। इसे लेकर विदेश मंत्रालय ने बेहद हल्की प्रतिक्रिया दी है और यह बिल्कुल उचित नहीं है, लेकिन मोदी सरकार से यही उम्मीद की जा सकती है।"

केंद्र सरकार की चुप्पी पर उठाए सवाल

उन्होंने आगे बताया, "विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कथित तौर पर कहा कि दोनों पक्ष पारंपरिक चरागाह क्षेत्रों से अवगत हैं और गतिरोध की किसी भी घटना से मौजूद तंत्र के तहत निपटा जाता है। अगर हम मौजूद तंत्र की बात करें तो हमने देखा है कि कैसे मोदी सरकार 18 दौर की सैन्य वार्ता के बावजूद पिछले 4 वर्षों से पूर्वी लद्दाख में हमारे सैनिकों और चरवाहों को 2,000 वर्ग किमी क्षेत्र तक जाने में रूकावट डाल रहे चीनियों को रोकने में विफल रही है।" जयराम रमेश ने कहा कि यह घटना ना केवल विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के आधिकारिक क्षेत्र में आती है, बल्कि सीमा प्रबंधन गृह मंत्रालय के तहत भी आती है। उन्होंने कहा गृह मंत्रालय का यह दायित्व बनता है कि देश के चरवाहे सीमा क्षेत्रों में अपने मौलिक नागरिक अधिकारों का सही से इस्तेमाल कर पाए।

घटना को लेकर अमित शाह से मांगा जवाब

इस मुद्दे को लेकर जयराम रमेश ने गृह मंत्री अमित शाह से जवाब मांगते हुए कहा, "वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के दावे वाले क्षेत्रों में मई 2020 के बाद से चीन के बॉर्डर गार्ड्स द्वारा हमारे चरवाहों को परेशान किए जाने या पीछे धकेले जाने के कितने मामले आए हैं। क्या इन टकरावों में हमारे चरवाहों को किसी तरह की चोट आई है या क्षति हुई है? क्या उन्हें चीनी उत्पीड़न से बचाने के लिए कोई प्रयास किया गया है या वे आईटीबीपी के समर्थन के बिना ही खुद का बचाव करने को मजबूर हैं? जैसे कि वीडियो में दिख रहा है।"

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