नागरिकता संशोधन अधिनियम: विरोध करने वालों को सीएम हिमंता की दो टूक, बोले - राज्य की शांति भंग करने की बजाए जाएं सुप्रीम कोर्ट
- सीएए का विरोध करने वालों को असम सीएम की नसीहत
- सुप्रीम कोर्ट जाने की कही बात
- लोकसभा चुनाव से पहले लागू हो सकता है कानून
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) सुर्खियों में बना हुआ है। चार पहले बने इस कानून को जल्द ही लागू करने की बात की जा रही है। पक्ष-विपक्ष के कई नेता इस पर अपने बयान दे रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह तो दो बार संसद में यह दोहरा चुके हैं कि यह देश का कानून है और कोई इसको रोक नहीं पाएगा। इस बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी इस कानून का विरोध करने वालों को प्रदर्शन करने की बजाए सुप्रीम कोर्ट जाने की नसीहत दी है।
मीडिया से बात करते हुए सीएम हिमंता ने कहा, "एक वर्ग सीएए का समर्थन कर रहा है। उनमें एक मैं भी हूं। लेकिन उसी समय असम में कई लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं। हमें दोनों के नजरिए को देखना होगा। हमें सीएए का समर्थन या विरोध करने पर किसी की आलोचना नहीं करनी चाहिए। जो सीएए का विरोध कर रहे हैं, उन्हें असम में शांति भंग करने के बजाए सर्वोच्च न्यायालय में जाना चाहिए।"
सीएए को लागू कर सकती है केंद्र सरकार
माना जा रहा है कि केंद्र सरकार जल्द ही सीएए की अधिसूचना जारी कर सकती है। वह काफी लंबे समय से इसकी तैयारी कर रही है। चुनाव की तारीखों से पहले ही गृह मंत्रालय इसका नोटिफिकेशन जारी कर सकता है। इसके ऑनलाइन पोर्टल को रजिस्ट्रेशन के लिए तैयार किया जा चुका है। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इस नए नियम के लिए सबसे ज्यादा एप्लिकेशन पाकिस्तान से प्राप्त हुई हैं। इस कानून का सबसे ज्यादा लाभ पड़ोसी मुल्कों से भारत में आए उन लोगों को होगा जिनके पास किसी भी तरह का कोई दस्तावेज नहीं हैं।
बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक को 11 दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित कर दिया गया था। जिसके एक दिन बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन गया था। हालांकि एक समुदाय विशेष के लोगों, विपक्षी पार्टियों द्वारा इसके विरोध और कोरोना महामारी के चलते यह लागू नहीं हो पाया था।
अभी तक इसलिए लागू नहीं हो सका, क्योंकि सीएए के तहत नियम बनाए जाने बाकी हैं। राज्यसभा और लोकसभा में अधीनस्थ विधान पर संसदीय समितियों ने क्रमशः 31 दिसंबर, 2022 और 9 जनवरी, 2023 तक केंद्रीय गृह मंत्रालय को विस्तार दिया था। इसके बाद दोबारा से संसदीय समितियों ने विस्तार को मंजूरी दी थी। सीएए को लेकर देश में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली थीं। कई राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया था। उस वक्त केंद्र सरकार इसे लागू करने का मन बना चुकी थी, लेकिन कोरोना के चलते सीएए अधर में लटक गया। इस मामले में शीर्ष अदालत में 200 से अधिक जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं। इन सबके बीच केंद्रीय गृह मंत्री शाह यह कहते रहे कि सीएए हर सूरत में लागू किया जाएगा। कोरोना महामारी के कारण इस अधिनियम को लागू करने में देरी हुई।