चिराग पासवान की प्रेशर पॉलिटिक्स: उद्धव या शरद नहीं हैं चिराग, रुख बदलने पर मजबूर हुई बीजेपी!

  • बिहार में चिराग पासवान को लेकर बीजेपी का बदला रुझान
  • पार्टी ने क्यों उद्धव ठाकरे और शरद पवार से ज्यादा दी तवज्जू
  • जानिए इसके पीछे का कारण

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-14 17:11 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की एनडीए के साथ सीट शेयरिंग फॉर्मूला पर बात फाइनल हो चुकी है। इसी के साथ चिराग पासवान का बीजेपी पर सियासी दांव भी काम कर गया है। दरअसल, काफी दिनों से बिहार की लोकसभा सीटों को लेकर बीजेपी की अगुवाई वाली एनीडए और लोजपा के बीच सीट बंटवारे पर आपसी सहमति नहीं बन पा रही थी।

बिहार के सीएम नीतिश कुमार ने महागठबंधन सरकार का दामन छोड़कर एनडीए के साथ मिलकर राज्य में नई सरकार बनाई थी। हालांकि, इन सबके बावजूद चिराग पासवान बीजेपी से राज्य की 5 लोकसभा सीटों को हासिल करने में कामयाब रहे। इन सीटों पर चिराग अपनी इच्छा के मुताबिक प्रत्याशियों को टिकट सौंप सकते हैं। इसके लिए वह अपने पिता रामविलास पासवान के चुनावी गढ़ हाजीपुर सीट पर प्रत्याशी का ऐलान करेंगे। अटकले हैं कि, चिराग अपनी मां रीना पासवान को इस सीट से प्रत्याशी घोषित करेंगे।

नीतिश कैबिनेट में पशुपति-प्रिंस को मिला ऑफर

चिराग पासवान चुनाव में सीटों के बंटवारे के साथ-साथ पारिवारिक मुद्दों से भी राहत मिल गई हैं। दरअलस, आगामी लोकसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी खेमे में चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस और बेटे प्रिंस राज पार्टी की जिम्मेदारियां को संभाल रहे हैं। इसके अलावा चिराग ने एनडीए से मिली पांच सीटों पर स्पष्ट रूप से कह दिया है कि इन पर केवल लोजपा का हक हैं। इन सीटों पर पारस खेमे का कोई अधिकार नहीं होगा। वहीं, पशुपति कुमार पारस का बीजेपी ने अच्छी तरह से उपयोग किया है। ऐसे में यदि उनकी बीजेपी से कोई अनबन भी होती है, तो वह पार्टी छोड़कर महागठबंध में भी शामिल हो सकते हैं।

हालांकि, बीजेपी ने पशुपति कुमार पारस और बेटे प्रिंस राज के सामने राज्यपाल और नीतीश कैबिनेट में मंत्री पद का प्रस्ताव पेश किया है। फिलहाल, यह देखना दिलचस्प रहेगा कि वे दोनों ही पार्टी से मिले इस ऑफर को स्वीकार करते हैं या फिर ठुकराएंगे? वहीं, दूसरी ओर बीजेपी से पशुपति पारस की नाराजगी भी एक वजह बताई जा रही है। ऐसे में उनके महागठबंधन में जाने की खबरों से अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।

बीजेपी का दोहरा रवैया

बीजेपी ने चिराग पासवान और पशुपति के साथ महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे और अजित पवार समेत अन्य नेताओं की तर्ज पर दोहरा रवैया को अपनाया है। दरअसल, शुरुआत में पशुपति कुमार पारस के साथ बीजेपी की अच्छी खासी सांठगाठ चल रही थी। मगर, जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे पार्टी के रुझान में परिवर्तन होता चला गया।

बिहार और महाराष्ट्र की शुरुआती तस्वीर से पता चलता है कि बीजेपी ने चिराग पासवान के साथ उद्वव ठाकरे और शरद पवार की तरह ही व्यवहार किया है। इस लिहाज से देखा जाए तो बीजेपी लोक जनशक्ति पार्टी, शिवसेना और एनसीपी पार्टी के बागियों को समेट ने में सफल रही। हालांकि, अब पार्टी का विचार चिराग पासवान को लेकर बदल चुका है।

बिहार में चिराग पासवान की ताकत को देखते हुए बीजेपी उनसे उद्धव ठाकरे और शरद पवार के जैसे रवैये को नहीं आजमा पाई। जैसा उनके साथ अब तक होता आए है। हालांकि, देखा जाए तो महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे और अजित पवार जैसे नेताओं के लिए ये शुभ संकेत नहीं हैं। यानी यह कि बीजेपी के साथ इन नेताओं को सिर्फ उनके काम के लिए ही अहमियत दे जा रही हैं। नहीं तो, वक्त बदलने में देर नहीं लगती है। इसका ताजा उदाहरण चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस है।

बीजेपी पर चिराग की दबाव की राजनीति

कुछ साल पहले जब नीतीश कुमार ने एनडीए की सरकार गिरा दी थी। तब चिराग पासवान की राह के कांटे हट गए थे। हालांकि, जैसे ही नीतीश कि फिर से एनीडए गठबंधन में एंट्री हुई तो, चिराग के मंसूबो पर पानी फेर गया था। इसके बाद से ही चिराग ने नीतीश कुमार का पैंतरा आजमाना शुरु कर दिया था। दरअसल, जिस तरह से नीतीश कुमार सत्तारूढ़ पार्टी में रहकर विपक्षी दलों का रोब दिखाते थे। ठीक वैसे ही चिराग पासवान ने भी नीतीश की इस सियासी चाल को खेलना शुरु कर दिया था। जिसे सब वाकिफ हो चुके हैं। हालांकि, बीजेपी पर उनकी यह चाल सफल साबित हुई।

ऐसे में अब नीतीश कुमार भी पहले की तुलना में कमजोर हो गए हैं। जिस वजह से बीजेपी पर दबाव बनाने में असफल हो गए। दरअसल, उन्हें खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से बिहार में एनडीए के साथ सीट शेयरिंग पर बात तय करनी थी।

उधर, चिराग पासवान ने बीजेपी पर महागठबंधन से मिले सीट शेयरिंग ऑफर का प्रचार करके बीजेपी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था। इसे लेकर अटकलें तेज हो गई कि महागठबंधन से चिराग पासवान को 6+2+2 सीटों का प्रस्ताव मिला है। इस फॉर्मूला को तोड़े तो इसका गणित यह होगा कि बिहार की मौजूदा 6 लोकसभा सीटें के साथ 2 अलग सीट और यूपी की दो लोकसभा सीटें चिराग को ऑफर हुई थी।

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