CAA पर राजनीति!: CAA पर आमने-सामने आईं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और BJP नेता स्मृति ईरानी, जानें किसने क्या कहा
- मुझे CAA पसंद नहीं है- ममता बनर्जी
- ममता बनर्जी वोट बैंक की राजनीति के लिए कुछ समुदायों को भड़काएंगी- स्मृति ईरानी
- 11 मार्च को केंद्र सरकार ने जारी किया है CAA नोटिफिकेशन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू हो गया है। 11 मार्च को गृह मंत्रालय ने इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी किया। मोदी सरकार की ओर से CAA लागू किए जाने के बाद विपक्ष के नेता बीजेपी पर जमकर निशाना साध रहे हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीएए को लेकर बीजेपी सरकार को घेरने की कोशिश की थी। जिस पर बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने कहा, "अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू, सिक्ख, बौध, जैन धर्म के जितने लोग प्रताड़ना सह रहे हैं और अपने धर्म के सम्मान के लिए भारत आए हैं, उन्हें नियमानुसार नागरिकता दी जाए, भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने इस संकल्प को फलीभूत किया है। निश्चित रूप से ममता बनर्जी जानबूझकर वोट बैंक की राजनीति के लिए कुछ समुदायों को भड़काएंगी लेकिन हर हिंदुस्तानी जानता है कि पीएम मोदी का ये निर्णय न्यायसंगत है।"
ममता बनर्जी का बयान
इससे पहले CAA की अधिसूचना जारी होने पर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा, "मैं यहां ये संदेश देने आई हूं कि हम सभी को एकजुट रहना चाहिए। हमें दंगों या ऐसी किसी भी चीज़ में शामिल नहीं होना चाहिए। मुझे CAA पसंद नहीं है क्योंकि उन्होंने 5 समुदायों को सूची में रखा है, लेकिन मुसलमानों को सूची में नहीं रखा गया। जैसे कि उनका देश में कोई योगदान नहीं है।''
क्या है सीएए?
सबसे पहले हम सीएए के बारे जानते हैं। सीएए जिसे सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट और नागरिकता संशोधन अधिनियम के रूप में जाना जाता है। यह कानून मुख्य रूप से गैर मुस्लिम देशों में प्रताड़ित होकर भारत आने वाले नागरिकों को भारत की नागरिकता प्रदान करेगा। इस कानून के लागू होने से भारत के तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए उन लोगों को भारत की नागरिकता मिलेगी, जो दिसंबर 2014 तक अपने देशों में किसी न किसी प्रताड़ना का शिकार होकर भारत आ गए हैं। इन लोगों में गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक – हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल हैं।
2016 में लोकसभा में पारित हुआ बिल, राज्यसभा में अटका
साल 2016 में सबसे पहले लोकसभा में सीएए को लेकर बिल पेश किया गया था। यह बिल लोकसभा से पारित भी हो गया था। लेकिन राज्यसभा में जाकर यह बिल अटक गया था। आगे चलकर इस बिल को संसदीय समिति को सौंप दिया गया। फिर साल 2019 का लोकसभा चुनाव आ गया जिसमें एक बार फिर भाजपा सरकार जीत गई। दिसंबर 2019 में सीएए के बिल को लोकसभा में एक बार फिर पेश किया गया। हालांकि इस बार यह बिल लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों से पारित हो गया। 10 जनवरी 2020 को इस बिल पर राष्ट्रपति की मुहर भी लग गई। इसके बाद राजधानी दिल्ली में कई लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। इसके अलावा उस वक्त कोविड के चलते इसे लागू करने में देरी हुई।
अब लागू हो गया सीएए
साल 2020 से लगातार किसी न किसी वजह से सीएए को एक्सटेंड किया जाता रहा। असल में संसदीय प्रक्रियाओं की नियमावली के अनुसार किसी भी कानून के नियम राष्ट्रपति की मंजूरी के 6 माह के अंदर तैयार किया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो लोकसभा और राज्यसभा के तहत आने वाली विधान समितियों से विस्तार की मांग की जा सकती है। नागरिकता कानून के संबंध में 2020 से गृह मंत्रालय नियम बनाने के लिए संसदीय समितियों से लगातार नियमित अंतराल में एक्सटेंशन ले रहा था।
सीएए में नागरिकता मिलने के प्रावधान
1. केंद्र सरकार के पास ही नागरिकता देने का पूरा अधिकार रहेगा।
2. पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम लोगों को ही भारत की नागरिकता दी जाएगी। इसमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों शामिल होंगे।
3. केवल उन लोगों को ही भारत की नागरिकता मिल पाएगी जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आकर बस गए हैं।
4. सीएए के अनुसार जो लोग अवैध रूप से, बिना पासपोर्ट या वीजा के घुस आए हैं उन्हें अवैध प्रवासी माना गया है।
5. जो लोग वैध दस्तावेज के साथ आए हैं मगर तय अवधि से अधिक वक्त तक भारत में रुके हुए हैं, उन्हें भी अवैध प्रवासी माना गया है।