राहुल गांधी की सिफारिश के बाद भी बिहार में कैबिनेट विस्तार पर हो रही है देरी, क्या है सीएम नीतीश की रणनीति?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में कांग्रेस विधायकों का कैबिनेट में शामिल होने का इंतजार अभी लंबा खींच सकता है। राज्य में कांग्रेस नेताओं की मांग है कि नीतीश सरकार की कैबिनेट में पार्टी के दो विधायकों को जोड़ा जाए। यह हाल तब है कि जब 23 जून को प्रदेश अध्यक्ष ने इसकी बात की पैरवी खुद कांग्रेस नेता राहुल गांधी के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से की थी। लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि नीतीश की कैबिनेट विस्तार में अभी लंबा वक्त लग सकता है। संकेतों के मुताबिक, कांग्रेस की मेजबानी में 17 और 18 जुलाई को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में विपक्षी एकजुटता बैठक के बाद ही नीतीश कैबिनेट में विस्तार होने की संभावानाएं हैं। इस समय बिहार में मुख्यमंत्री समेत 32 मंत्री शामिल हैं। हालांकि राज्य में अधिकतम मंत्रियों की संख्या 36 हैं। यानी इस समय बिहार में अभी मंत्री पद के लिए चार सीटें खाली हैं। जिसमें से 2 सीटों पर कांग्रेस दावा कर रही है। जबकि दो सीट राजद के कोटे के माने जा रहे हैं। यह दोनों सीट राजद की ओर से मंत्री सुधाकर सिंह और कार्तिक कुमार के इस्तीफे के बाद खाली हुए हैं।
बिहार में मंत्री बनने की रेस जारी
पिछले साल 10 अगस्त को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ सरकार बनाई। हालांकि, उस दिन नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने शपथ ली थी। इसके बाद 16 अगस्त को राज्य में सीएम नीतीश ने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। इस दिन कुल 31 मंत्रियों ने शपथ लिया था। इसमें राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव की पार्टी से 16, जेडीयू के 11, कांग्रेस के 2, हम के 1 और एक निर्दलीय विधायक शामिल थे। लेकिन अगले ही दिन बिहार में कानून मंत्री कार्तिक कुमार को लेकर विवाद खड़ा हो गया। दरअसल, कार्तिक कुमार पर एक अपहरण मामले में पहले से वे आरोपी होने के चलते उन्हें नीतीश कुमार की कैबिनेट से बाहर कर दिया गया। इसके बाद नीतीश कुमार ने 30 अगस्त को कार्तिक को गन्ना उद्योग विभाग दे दिया गया।
नीतीश की कैबिनेट में दूसरा नेता भी आरजेडी खेमे से ही इस्तीफा दिया। आरजेडी की ओर से कृषि मंत्री सुधार सिंह ने 2 अक्टूबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने से पहले वे लगातार सीएम नीतीश और सरकार पर हमलावर थे। सुधाकर सिंह के बायन के चलते आरजेडी और जेडीयू के बीच सरकार बनने के दो-तीन माह बाद ही दरार पैदा होना शुरू हो गई थी। आरजेडी कोटे के मंत्रियों का पद पिछले आठ-नौं महीने से खाली है। इसके बाद पिछले माह ही विपक्षी एकता बैठक से ठीक पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे और हम पार्टी के अध्यक्ष संतोष सुमन मांझी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके जगह पर सीएम नीतीश ने अपने ही पार्टी के नेता को यह पद सौंप दिया।
कैबिनेट विस्तार पर बिहार कांग्रेस की नजर
रत्नेश सदा को मंत्री बनाए जाने के बाद बिहार के सियासी गलियारों में अटकलें तेज हो गई कि राजद कोटे के खाली पद को भरने के अलावा कांग्रेस के नेताओं को भी कैबिनेट में मौका दिया जाएगा। हालांकि, राजधानी पटना में हुई विपक्षी एकता बैठक के बाद बिहार में कैबिनेट विस्तार को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है। लेकिन अभी तक नीतीश कुमार ने कैबिनेट विस्तार को लेकर किसी भी तरह की चर्चा नहीं की है। सूत्रों के मुताबिक, बिहार में अब कैबिनेट का विस्तार 17-18 जुलाई की विपक्षी एकता बैठक के बाद ही होगा। पहले यह मीटिंग शिमला में 13-14 जुलाई को होने वाली थी। लेकिन बिहार में मॉनसून सत्र की व्यसतता के चलते यह बैठक अब आगे बढ़ाकर कर्नाटक में शिफ्ट कर दिया है। अब सभी की नजर बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी एकता मीटिंग पर है। लेकिन प्रदेश कांग्रेस की नजर नीतीश के बिहार लौटने के बाद मंत्रिमंडल के विस्तार पर है।