लोकसभा चुनाव 2024: वर्षों तक रहा राजा मार्तंड सिंह का दबदबा, कभी बसपा से लड़ी कांग्रेस, अब बीजेपी का 'राज', जानिए रीवा सीट का इतिहास

  • रीवा सीट पर मार्तंड सिंह भी रहे चुके हैं निर्दलीय सांसद
  • पिछली बार रीवा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी ने मारी बाजी
  • इस बार फिर बीजेपी ने जनार्दन मिश्रा को दिया टिकट

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-20 16:41 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 का पहला चरण संपन्न हो गया है। हालांकि, रीवा में अभी चुनाव नहीं है। रीवा में दूसरे चरण का चुनाव 26 अप्रैल को होगा। मध्य प्रदेश की सियासत में विंध्य क्षेत्र काफी अहम माना जाता है और विंध्य का गढ़ रीवा को कहा जाता है। रीवा सफेद शेर के लिए काफी मशहूर माना जाता है। आजादी से पूर्व भारत कई रियासतों में बंटा हुआ था। तब रीवा भी एक रियासत हुआ करता था। आजादी के बाद 4 अप्रैल 1948 में विंध्य प्रदेश की स्थापना हुई, जिसकी राजधानी बना रीवा और राजप्रमुख रीवा रियासत के राजा मार्तंड सिंह बने। 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के वक्त विंध्य प्रदेश, भोपाल, मध्य भारत और सेंट्रल प्रोविंसेस एंड बरार का विलय हो गया। जिसके बाद मध्य प्रदेश अस्तित्व में आया। इसके बाद 1957 में पहली बार रीवा में आम चुनाव हुआ। इस चुनाव में कांग्रेस के शिव दत्ता सांसद चुने गए थे। आज हम आपको रीवा सीट के चुनावी इतिहास के बारे में बताएंगे।

रीवा लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास

आजादी के बाद साल 1957 में रीवा में पहले आम चुनाव हुए। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी शिव दत्ता ने जीत दर्ज की और सांसद निर्वाचित हुए। 1962 में भी शिव दत्ता ने जीत हासिल की और दोबारा सांसद बने। 1967 में चुनाव कांग्रेस ने ही जीता, लेकिन इस बार एस एन शुक्ला सांसद बने।

मार्तंड सिंह निर्दलीय खड़े हुए तो कांग्रेस हारी

साल 1971 का चुनाव बड़ा दिलचस्प था। इस चुनाव में रीवा रियासत के राजा रहे मार्तंड सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में खड़े हो गए। चुनावी नतीजों में मार्तंड सिंह को जीत मिली और सांसद बने। कांग्रेस को रीवा सीट में पहली बार इतना बड़ा झटका लगा था।

आपातकाल के बाद लोक दल का खाता खुला

आपातकाल हटने के बाद साल 1977 में लोकसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में मार्तंड सिंह को पहली बार रीवा सीट से झटका लगा। इस बार भारतीय लोक दल के प्रत्याशी यमुना प्रसाद ने जीत दर्ज की। हालांकि, तीन साल बाद 1980 में हुए आम चुनाव में मार्तंड सिंह ने वापसी कर ली।

मार्तंड सिंह के साथ 'हाथ' की वापसी

रीवा क्षेत्र में मार्तंड सिंह की लोकप्रियता और हवा का रुख को देखते हुए कांग्रेस ने 1984 के आम चुनाव में उन्हें टिकट दे दिया। मार्तंड सिंह चुनाव जीतने में फिर सफल रहे और कांग्रेस की वापसी हुई।

1989 में हुई जनता पार्टी की एंट्री

साल 1989 के चुनाव में रीवा सीट पर जनता पार्टी ने अपना कदम रखा। इस बार यमुना प्रसाद शास्त्री सासंद निर्वाचित हुए। 1991 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी पहली बार रीवा सीट से चुनाव जीता। इस बार भीम सिंह पटेल सांसद निर्वाचित हुए। 1996 में बसपा ने दोबारा चुनाव जीता और इस बार बुद्ध हसन पटेल सांसद बने।

बीजेपी-कांग्रेस और बसपा का घमासान

साल 1998 में रीवा सीट पर पहली बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनाव जीता और चंद्रमणी त्रिपाठी सांसद बने। एक साल बाद फिर चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस ने वापसी की और सुंदर लाल तिवारी सांसद बने। इसके बाद साल 2004 में फिर बीजेपी ने वापसी की और चंद्रमणी त्रिपाठी दोबारा सांसद निर्वाचित हुए। साल 2009 में लंबे अंतराल बाद बसपा ने वापसी की और इस बार देवराज सिंह पटेल सांसद बने। साल 2014 में बीजेपी ने फिर वापसी की और इस बार जनार्दन मिश्रा सांसद निर्वाचित हुए।

क्या रहा पिछले चुनाव का नतीजा?

साल 2019 में रीवा सीट से बीजेपी ने फिर एक बार जनार्दन मिश्रा को चुनावी मैदान में उतारा था। उनके खिलाफ कांग्रेस ने सिद्धार्थ तिवारी को चनावी मैदान में उतारा। चुनावी नतीजों में बीजेपी प्रत्याशी जनार्दन मिश्रा ने कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धर्थ तिवारी को 3 लाख 12 हजार 807 वोट से हरा दिया। इस दौरान जनार्दन मिश्रा को कुल 5 लाख 83 हजार 745 वोट हासिल हुए। वहीं, सिद्धार्थ तिवारी को मात्र 2 लाख 70 हजार 938 वोट ही मिल सके।

इस बार ये नेता चुनावी मैदान में

लोकसभा चुनाव 2024 में रीवा सीट पर इस बार बीजेपी ने इस बार फिर से जनार्दन मिश्रा को चुनावी मैदान में उतारा है। जनार्दन को हराने के लिए कांग्रेस ने इस बार सियासी नीलम मिश्रा नाम की महिला उम्मीदवार को टिकट दिया है। बता दें कि, रीवा लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में चुनाव होगा और चुनाव का नतीजा 4 जून का आएगा।

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