कोटे के अंतर कोटा: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बीजेपी की चुप्पी, दलित वोट बैंक में भ्रामक स्थिति

  • बीजेपी पर संविधान खत्म कराने का आरोप लगा सकती है विपक्षी दल
  • लोकसभा चुनाव में खूब उछला था मुद्दा
  • दलितों को बांटने वाला और आरक्षण को खत्म करने की साजिश -अठावले

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-05 14:29 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के दलित कोटे के अंदर कोटे मामले में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठने लगे है। एनडीए सरकार के सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान और महाराष्ट्र में आरपीआई चीफ रामदास अठावले दलित सब कोटे पर सुप्रीम फैसले के विरोध में है। चिराग ने तो पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की बात कही।

बिहार में लोजपा पासवान और राज्य की प्रमुख विपक्षी दल आरजेडी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रही है । जबकि जेडीयू और हम समर्थन कर रही है। बात उत्तप्रदेश की जाए तो सपा और कांग्रेस की चुप्पी के बीच बहुजन समाज पार्टी की चीफ मायावती और आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आजाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में है। मायावती ने इसके विरोध में बीते कल एक प्रेस कॉन्फ्रेस का आयोजन भी किया था। मध्यप्रदेश बीएसपी प्रदेशाध्यक्ष पिप्पल का कहना है कि मध्यप्रदेश में बसपा एससीएसटी कोटे के भीतर सब कोटे का विरोध करती है। उन्होंने टॉप कोर्ट के फैसले को लेकर जल्द ही जन जागरूक आंदोलन करने की बात कही।

आपको बता दें विरोधी दलों ने इस बार के आम चुनाव में सत्ता रूढ़ बीजेपी को आरक्षण विरोधी के तौर पर प्रचार करते हुए 240 सीटों पर सिमटा दिया था। उत्तर प्रदेश में बीजेपी को सबसे बड़ा झटका लगा जहां वह 62 से घटकर 33 सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने संविधान बचाओ , आरक्षण बचाओ का प्रचार कर बीजेपी को घेरा था। 

बिहार में एनडीए के अन्य सहयोगी दल जेडीयू और हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पक्षधर में है। समर्थन करने वालों में तेलुगुदेशम पार्टी सबसे ऊपर है। बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि वो विरोध करें या समर्थन। सपा और कांग्रेस की चुप्पी के बीच बीजेपी को जल्द से जल्द अपना स्टैंड क्लियर कर देना चाहिए, क्योंकि बीजेपी के दलित वोट बैंक के बीच अभी भी भ्रामक स्थिति बनी हुई है। बीजेपी जल्द अपना स्टैंड क्लियर नहीं करती तो उसे दो तरफा मार झेलनी पड़ सकती है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की चुप्पी का फायदा उठाने से भी पार्टी वंचित हो सकती है। कांग्रेस सपा के साथ साथ तमाम दलित पार्टियां बीजेपी पर संविधान खत्म कराने का आरोप लगा सकती है। जो चुनाव के दौरान खूब उछला था।

चिराग और अठावले सर्वोच्च अदालत के फैसले को दलितों को बांटने वाला और आरक्षण को खत्म करने की साजिश बता रहे हैं। वैसे आपको बता दें तेलंगाना में कांग्रेस और बीजेपी एससी एसटी कोटे के भीतर कोटे को समर्थन कर चुकी है। बीजेपी ने राज्य में 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले ही दलित सब कोटे के प्रावधान का सपोर्ट किया था। खुद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मडिगा समुदाय की उप-कोटा की लंबे समय से चली आ रही मांग पर गौर करने के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की थी।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एनडीए के सहयोगी चंद्र बाबू नायडू भी इसके समर्थन में हैं। नायडू के बेटे और आंध्र प्रदेश के मंत्री नारा लोकेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, टीडीपी उप-वर्गीकरण के वादे के लिए प्रतिबद्ध है जो उसके चुनाव अभियान का हिस्सा था।जाहिर इन दोनों राज्यों में बीजेपी के लिए कोई मुश्किल नहीं है।

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