लोकसभा चुनाव 2024: मुरादाबाद लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी कुंवर सर्वेश सिंह की हार्ट अटैक से मौत, पीएम मोदी ने दुख जताते हुए कहा उनका जाना पार्टी के लिए एक अपूरणीय क्षति

  • 1991 के लोकसभा चुनाव में भी ऐसा हो चुका है
  • सूर्यदेव सिंह VS रामलखन सिंह यादव और आरा सीट पर चुनाव
  • मतगणना के परिणाम पर निर्भर करेगी स्थिति: विशेषज्ञ

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-21 07:15 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश की मुरादाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी सर्वेश सिंह की बीते दिन शनिवार शाम को मौत हो गई।कैंसर से पीड़ित 71 वर्षीय बीजेपी प्रत्याशी ने आखिरी सांस एम्स नई दिल्ली में ली।उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताते हुए कहा उनका जाना पार्टी के लिए एक अपूरणीय क्षति है। खबरों के मुताबिक सर्वेश सिंह बीजेपी प्रत्याशी घोषित होने से पहले ही अस्पताल में भर्ती थे।

बीजेपी प्रत्याशी की मौत के बाद से मुरादाबाद में चुनाव की अभी जो स्थिति बनी है, वह ठीक उसी तरह की स्थिति है जो साल 1991 के लोकसभा चुनाव में बिहार की आरा लोकसभा सीट बनी थी। यहां भी उस समय एक प्रत्याशी का निधन हो गया था।

मंडल और मंदिर की राजनीति के दौर में 1991 के लोकसभा चुनाव में बिहार के आरा संसदीय क्षेत्र से चार बार के विधायक सूर्यदेव सिंह ने सांसद का चुनाव निर्दलीय लड़ा था।वो अपनी संसदीय पारी की शुरुआत करना चाहते थे। उनके सामने जनता दल के उम्मीदवार रामलखन सिंह यादव थे।दोनों दिग्गजों के बीच कड़ा मुकाबला था।बैलेट पेपर से चुनाव हो रहा था। मतदान होने का बाद मतगणना से पहले अचानक उनका निधन हो गया था। ऐसे में आरा सीट पर हुई वोटिंग को रद्द नहीं किया गया, बल्कि मतगणना हुई। काउंटिंग के दौरान उपचुनाव की चर्चा हो रही थी, लेकिन सूर्यदेव सिंह की हार हुई थी, जब नतीजे आए तो रामलखन सिंह यादव जो कि जनता दल के उम्मीदवार थे, वे जीत गए थे।

शनिवार को बीजेपी प्रत्याशी कुंवर सर्वेश सिंह के निधन के बाद से मुरादाबाद में उपचुनाव होने की सबसे ज्यादा चर्चा होने लगी है।वोटिंग 19 अप्रैल शुक्रवार को हो गई। नतीजे आना बाकी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या मुरादाबाद लोकसभा सीट पर शु्क्रवार को हुआ मतदान रद्द माना जाएगा। उपचुनाव के चर्चे होने लगे है।राजनीतिक एक्सपर्ट हालफिलहाल इसे बहुत जल्दी नतीजे पर पहुंचना' मान रहे हैं।विशेषज्ञों का कहना है नतीजे आने तक रुकना होगा।यदी चुनावी परिणाम बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में आता है तब निर्वाचन आयोग को उपचनाव करना होगा।यदि नतीजे उनके खिलाफ आते है यानि उनके अलावा अन्य कोई पार्टी प्रत्याशी जीतता है।तब ऐसी स्थिति में उपचुनाव नहीं करवा सकते है।  

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