जातीय जनगणना पर बिहार और मोदी सरकार आमने-सामने, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से वापस लिया हलफनामा, जानें पूरा मामला

  • जातीय जनगणना पर घमासान
  • केंद्र ने पहला हलफनामा कोर्ट से लिया

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-29 06:18 GMT

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। जातीय जनगणना पर बिहार और केंद्र की मोदी सरकार आमने-सामने नजर आ रही हैं। बीते दिन यानी 28 अगस्त को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जातीय जनगणना को लेकर हलफनामा दिया था लेकिन कुछ ही घंटों के बाद दूसरा एफिडेविट दाखिल कर पहले हलफनामा को खारिज करने का अनुरोध किया। पिछले कई महीने से बिहार में हो रही जातीय जनगणना को लेकर सियासत हो रही है। बिहार की नीतीश सरकार प्रदेश में जनगणना करा रही है और कह रही है कि उसके हिसाब से ही जनता को आरक्षण दिए जाएंगे।

मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पहला हलफनामा दायर करते हुए कहा था कि, जनगणना से जुड़ा कोई भी काम केंद्र सरकार के अलावा यानी राज्य सरकार नहीं कर सकती है। केंद्र ने अपने हलफनामे में संविधान का हवाला देते हुए कहा था "संविधना के मुताबिक केंद्र के अलावा कोई अन्य सरकार या संस्था जनगणना से जुड़ा कोई भी काम नहीं कर सकती।" लेकिन शाम तक केंद्र सरकार ने अपना फैसला बदलते हुए शीर्ष अदालत में नया एफिडेविट दाखिल कर दिया और कहा कि जो पहले हलफनामे का 5वां पैराग्राफ है उसमें गलती हो गई है। पहले हलफनामे के 5वें पैराग्राफ में गलती होने की वजह से नया एफिडेविट दाखिल कर रहे हैं।

नए एफिडेविट में केंद्र ने क्या कहा?

नए एफिडेविट में घुमा फिरा कर पहले वाली ही बात कही गई है। केंद्र ने नए एफिडेविट में कहा, 'जनगणना एक वैधानिक प्रक्रिया है, जिसका संचालन जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत किया जाता है। यह केंद्रीय सूची के अंतर्गत आता है और संविधान की 7वीं अनुसूची में इसका जिक्र किया गया है।' एफिडेविट में आगे कहा गया है 'यह अधिनियम सिर्फ केंद्र सरकार को ही यह शक्ति देता है कि वह जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत जनगणना करा सके। इसका प्रावधान ऐक्ट के सेक्शन 3 में किया गया है।'

पटना हाईकोर्ट से मिल चुकी है हरी झंडी

बिहार सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराए जाने पर पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिस पर उच्च न्यायालय ने फैसला सुनते हुए राज्य सरकार को जातीय जनगणना कराने को मंजूरी दे दी थी। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है और कहा गया है कि इस पर तुरंत रोक लगे। सुप्रीम कोर्ट में इसी सुनवाई को लेकर केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल किया है।

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